Author: Krishna

आज दुनिया में जिस तेजी से विकास हो रहा है, उसी तेजी से पर्यावरण का हनन हो रहा है। विकास की अंधी दौड़ में हम इस कदर दौड़े जा रहे हैं कि अपने हितअनहित को भी नहीं समझ पाते। विकास ने हमें सुविधाएं प्रदान की हैं, लेकिन उनका नुकसान भी समाज और प्रकृति में देखने को मिल रहा है। आधुनिक विकास ने सबसे ज्यादा नुकसान हमारे वातावरण और आर्द्रभूमि यानी वेटलैंड्स को पहुंचाया है। आद्रभूमि/वेटलैंड किसे कहते हैं ? जलमग्न अथवा आर्द्रभूमि को वेटलैंड कहते हैं। प्राकृतिक अथवा कृत्रिम, स्थायी अथवा अस्थायी, पूर्णकालीन आर्द्र अथवा अल्पकालीन, स्थिर जल अथवा अस्थिर…

Read More

गेहूं की फसल में सामान्यतः दो प्रकार के खरपतवार पाएं जातें जो संकीर्ण तथा चौड़ी पत्ती वर्ग से सम्बन्ध रखतें हैं. यदि इन खरपतवारों का नियंत्रण फसल के प्रारंभिक अवस्था में न किया जाए तो फसल के उत्पादकता में 10 से 40 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जो खरपतवारों के तीव्रता एवं प्रकार पर निर्भर करता है. खरपतवारों का वर्गीकरण एवं गेहूं के फसल में पाएं जाने वाले मुख्य खरपतवार निम्न हैः – एकबीजपत्री (संकीर्ण पत्तों ) वर्ग के खरपतवार  फाइलेरिस माइनर (गुल्ली-डंडा) – धान – गेहूं फसल चक्र में खरपतवार बड़ी़ समस्या है. जंगली जई – यह खरपतवार हल्के से मध्यम बनावट वाली मृदा…

Read More

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर, प्रो. राणा प्रताप सिंह के सानिध्य में उनके पूर्व और वर्तमान शोध छात्रों की एक छोटी सी पहल द्वारा ओजोन संरक्षण दिवस के अवसर पर मोहनलालगंज स्थित आशालयम (बाल गृह) रायबरेली रोड, लखनऊ में बच्चों के साथ एक छोटी सी परिचर्चा का आयोजन किया गया। भारी बारिश के कारण कार्यक्रम 16 सितंबर से स्थगित कर 18 सितंबर, रविवार को आयोजित किया गया। इस दो घंटे (11.00 -1.00pm)  के कार्यक्रम के संदर्भ में,  हमारे आगमन पर बच्चे बहुत प्रसन्न हुए, बच्चों ने स्वागत गीत के माध्यम से हम सभी का अपने…

Read More

Importance of Millets in India: The Poaceae family includes the small-seeded annual grasses known as millets, which are typically grown as grain crops on marginal land in dry areas. The ancient grain known as millets was first domesticated for human consumption and is now grown in 131 nations. In Asia and Africa, millets are the staple diet for 59 crore people. Only millets will address pressing issues like food, feed, fuel, malnutrition, health, and climate change in the future. Millets fit well even in the infertile soil and are adapted to a wide range of ecological conditions requiring less water…

Read More

ಕಲ್ಲು‌ಹೂವುಗಳು ಎಂದರೇನು? ಕಲ್ಲುಹೂವುಗಳು ಸಹಜೀವನಕ್ಕೆ ಒಂದುಅತ್ಯುತ್ತಮ ಉದಾಹರಣೆ. ಅವುಗಳು ಏಕ ಜೀವಿಯಂತೆ ಕಾಣಿಸಿದರೂ ವಾಸ್ತವದಲ್ಲಿ ಎರಡು ಜೀವಿಗಳಿಂದ ರಚನೆಯಾಗಿವೆ. ಹೊರಗಡೆಯಿಂದ ಕಾಣಿಸುತ್ತಿರುವುದು ಶಿಲೀಂಧ್ರವಾಗಿದ್ದು ಅದರ ದೇಹದೊಳಗೆ ಪಾಚಿಯು ಅಡಗಿರುತ್ತದೆ. ಆದ್ದರಿಂದ, ಕಲ್ಲುಹೂವುಗಳನ್ನು ’ಡ್ಯುಯಲ್ ಆರ್ಗ್ಯಾನಿಸಂ ಅಥವಾ ಉಭಯ ಜೀವಿ’ ಎಂದು ಕರೆಯಲಾಗುತ್ತದೆ. ಶಿಲೀಂಧ್ರ ಮತ್ತು ಪಾಚಿಯ ನಡುವಿನ ಸಂಬಂಧವನ್ನು ಗಂಡ ಮತ್ತು ಹೆಂಡತಿಯ ಸಂಬಂಧಕ್ಕೆ ಹೋಲಿಸಬಹುದಾಗಿದೆ. ಶಿಲೀಂಧ್ರವು ಒಬ್ಬ ಗಂಡನಂತೆ ನೀರು ಮತ್ತು ಖನಿಜಗಳನ್ನು ಪಾಚಿಗೆ ಪೂರೈಸುತ್ತದೆ. ಹಾಗೆಯೇ ಒಬ್ಬ ಹೆಂಡತಿಯಂತೆ ಪಾಚಿಯು ದ್ಯುತಿಸಂಶ್ಲೇಷಣಾ ಕ್ರಿಯೆಯ ಮೂಲಕ ಆಹಾರವನ್ನು ಸಿದ್ಧಪಡಿಸುತ್ತದೆ ಹಾಗೂ ಇಡೀ ಕಲ್ಲುಹೂವಿನ ಪೌಷ್ಟಿಕಾಂಶದ ಸಮತೋಲನವನ್ನು ಕಾಯ್ದುಕೊಳ್ಳುತ್ತದೆ. ಶಿಲೀಂಧ್ರವು ಪಾಚಿಗೆ ಆಶ್ರಯ ಮತ್ತು ರಕ್ಷಣೆಯನ್ನೂ ಸಹ ನೀಡುತ್ತದೆ. ಇತ್ತೀಚಿನ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ಕಲ್ಲುಹೂವುಗಳನ್ನು ’ಸೂಕ್ಷ್ಮ-ಪರಿಸರವ್ಯವಸ್ಥೆ’ ಎಂದು ಪರಿಗಣಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ಏಕೆಂದರೆ, ಮೂಲತಃ ಶಿಲೀಂಧ್ರ ಮತ್ತು ಪಾಚಿಯಿಂದ ಕೂಡಿ ರಚನೆಯಾದ ಕಲ್ಲುಹೂವುಗಳ ಜೊತೆಯಲ್ಲಿ ಹಲವಾರು ಬೇರೆ ಶಿಲೀಂಧ್ರಗಳು, ಪಾಚಿಗಳು, ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾಗಳು, ಆಕ್ಟಿನೋಮೈಸೆಟ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ಸೂಕ್ಷ್ಮ-ಅಕಶೇರುಕಗಳು ನಿಕಟ ಸಂಬಂಧವನ್ನು ಹೊಂದಿರುತ್ತವೆ. ಕಲ್ಲುಹೂವುಗಳಿಗಿರುವ ವಿವಿಧ ಹೆಸರುಗಳು…

Read More

Introduction: “The Year World Caught Fire” is the report published by WWF in December 1997, which has captured the attention of world environmentalist towards the escalating challenge of ‘Forest Fires’. In year 1997-98, the forest fires created the large havoc and results in a big ecological crisis. Since then, the problem has been continually rising. The forests are a prime natural resource and act as natural sink for carbon emission. But ‘Forest Fires’ are not only destroying these resources but also emitting large amount of carbon into atmosphere in form of smoke which contain cocktail of many pollutants such as…

Read More

आजकल किसानों के लिये मत्स्य पालन कार्य ग्रामीण रोजगार तथा आय का एक अच्छा साधन बनता जा रहा है। इसके प्रति रुचि उत्पन्न होने से लोग इसे व्यवसाय के रुप में अपनाने लगे हैं। तालाबों से अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि इस कार्यक्रम को पूरे वर्ष वैज्ञानिक ढ़ग से सम्पादित किया जाये। मत्स्य पालन के दौरान वर्ष के किस माह में कौन कौन से कार्य किये जायें इसकी जानकारी मत्स्य पालक को होना आवश्यक है। तदसम्बन्धी विवरण निम्नवत् है:- माह सम्पादित किये जाने वाले कार्य मई तहसील स्तर से ग्राम सभा…

Read More

               पृथ्वीपुर अभ्युदय समिति का वार्षिक समारोह 17 अप्रैल 2022 को सरकारी प्राथमिक विद्यालय पृथ्वीपुर कुशीनगर में आयोजित हुआ | समारोह की अध्यक्षता डॉ. वेद  प्रकाश पाण्डेय ने की | इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. रामचेत चौधरी, विशिष्ठ अतिथि डॉ. सीबी सिंह, श्री सुधीर शाही, डॉ. सुमन सिन्हा उपस्थित रहें | समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान एवं तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुआ | इस समारोह में ग्रामीण युवाओं को रोजगार एवं ग्रामीण विकास की चुनौतियों पर चर्चा हुई | साथ ही साथ समारोह में पृथ्वीपुर सम्मान दिए गए | जिनमें श्री सुरेन्द्र शर्मा जी को अस्पतालों में निःशुल्क भोजन वितरण…

Read More

सभी हिंदी भाषियों को हिंदी दिवस की बधाई . किसी भाषा की जीवंतता और व्यापकता उसके भीतर से उपजती है . हिंदी बहुत पुरानी भाषा नहीं है , इसलिए अभी भी इसके बहुमुखी विकास की अनेक संभावनाएं शेष हैं . उत्तम साहित्य निर्माण के साथ साथ उसका उत्कृष्ट रूप से कामकाजी होना आवश्यक होता है .ज्ञान और व्यवहार व्यापार के क्षेत्रों में अभी उत्कृष्ट हिंदी साहित्य का निर्माण होना बाकी है . इस पर हिंदी विभागों और संस्थानों के भीतर और बाहर व्यापक वांछित विमर्श नहीं हो रहा है , यह चिंता का विषय है. हिंदी के विकास के लिए…

Read More

लखनऊ जिले के बख्शी का तालाब स्थित रैथा गाँव में 12 जुलाई 2022 को सामाजिक संस्था आईकेयरइंडिया एवं प्रोफेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउंडेशन फॉर साइंस एण्ड सोसाइटी, लखनऊ के साथ मिलकर शुरू किये गये मिशन ‘किसानशाला’ में “एकीकृत प्राकृतिक खेती से किसानो के सतत विकास में एक कदम” के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री मनोज कुमार सिंह ‘कृषि उत्पादन आयुक्त’ उत्तर प्रदेश ने किसानशाला का शुभारम्भ किया | इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री सूर्यपाल गंगवार व मुख्य विकास अधिकारी श्रीमति रिया केजरीवाल भी उपस्थित थे | इस कार्यशाला में प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह, जनरल सेक्रेटरी, प्रोफेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउनडेशन,…

Read More