महिला सशक्तिकरण – महिलाओं का पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देश के बारे में सोचने की क्षमता का विकास होना ही महिला सशक्तीकरण कहलाता है महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में बराबर का भागीदार बनायें भारतीय महिलाओं की सशक्तिकरण बहुत हद तक भौगोलिक (शहरी और ग्रामीण), शैक्षणिक योग्यता, और सामाजिक एकता के ऊपर निर्भर करता है।
भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों जरूरत है- भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्राचीन समय में भारत में लैंगिग असमानता थी और पुरूष प्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और साथ ही साथ समाज के द्वारा भी कई कारणों से भी दबाया जाता है तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा भी होती है। परिवार और समाज में भेदभाव भी किया जाता है ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी देखा जाता है। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिए माँ, बहन, पुत्री, एवं पत्नी के रूप मे देखा जाता है। महिलाओं को देवियों के रूप में पूजने की परम्परा है, लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं है कि पूजने से ही देश के विकास की जरूरत पूरी हो जाएगी। वर्तमान समय में जरूरत है कि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाये जो देश के विकास का आधार बनें।,
भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई अधिनियम बनाये गये हैं जो निम्न प्रकार हैं-
- सती प्रथा अधिनियम (1987)– यह अधिनियम सती प्रथा (पति की मृत्यु के बाद पत्नी को जबरन चिता में जलाना) का प्रचलन था। किसी भी महिला को सती होने के लिए बाध्य नही किया जा सकता है।
- घरेलू हिंसा अधिनियम (2005)– इस अधिनियम के द्वारा महिलाओं को सभी प्रकार की घरेलू हिंसा (शारीरिक, यौन, मानसिक या भावनात्मक हिंसा) से संरक्षण का प्रावधान किया गया है इसमें उन महिलाओं को भी शामिल किया गया है जो दुर्व्यवहार की शिकार हो चुकी हैं या दुर्व्यवहार करने वाले के साथ रह रहीं हैं।
- दहेज निषेध अधिनियम (1961)– इस अधिनियम के द्वारा शादी के पहले या बाद में महिलाओं से दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आता है।
- संपत्ति पर अधिकार: – हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948)– यह अधिनियम पुरुष और महिला श्रमिकों के बीच मजदूरी में भेदभाव या उनको मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी में भेदभाव की अनुमति नहीं देता है।
- गर्भावस्था अधिनियम (1971)– इस अधिनियम के द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों (जैसे बलात्कार की पीड़ित महिला या लड़की या किसी बीमारी की हालत में) में मानवीय और चिकित्सीय आधार पर 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है। सामान्य परिस्थितियों में 20 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी गयी है।
- कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार – भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार ‘जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम (च्ब्च्छक्ज्) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) – इस अधिनियम में माता-पिता की संपत्ति में पुरुषों के साथ महिलाओं को भी सामान अधिकार दिए हैं अर्थात यदि लड़की चाहे तो अपने पिता की संपत्ति में हक बंटा सकती है।
- राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम (1990)– सरकार ने इस आयोग का गठन महिलाओं के संवैधानिक और कानूनी अधिकारों और अन्य सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों का अध्ययन और निगरानी करने के लिए किया है।
- कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम (2013)– इस अधिनियम में सार्वजनिक और निजी, संगठित या असंगठित दोनों ही क्षेत्रों में सभी कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत आपको वर्किंग प्लेस पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण के शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक 90 दिन का पैड लीव दी जाएगी।
निम्नलिखित अन्य कानूनों में महिलाओं के लिए कुछ अधिकार और सुरक्षा उपाय भी शामिल हैं-
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (1948)
- बागान श्रम अधिनियम (1951)
- बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम (1976)
- कानूनी चिकित्सक (महिला) अधिनियम (1923)
- भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (1925)
- भारतीय तलाक अधिनियम (1896)
- पारसी विवाह और तलाक अधिनियम (1936)
मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना
किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित, महिलाओं को पारिवारिक सहायता नहीं मिलती है तो जीवन यापन करने के सभी रास्ते बंद हो जाते है एवं ऐसी कठिन परिस्थितियों के लिए परिवार एवं समाज में पुर्नस्थापित होने हेतु विशेष सहयोग की आवश्यकता होती है । यदि किसी भी पीड़ित महिला की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ दिया जाए तो वह स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार का भी भरण पोषण कर सकती है। इस उद्देश्य से ’’मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना’’ प्रदेश में सितम्बर 2013 से प्रारंभ की गई है। जो महिलाओं को पूर्ण रूप से सशक्तिकरण बनाने में सक्षम है।
मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना के उद्देशयः-
♦ विपत्तिग्रस्त/पीड़ित/असहाय/निराश्रित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए समाज की मुख्य धारा में
पुर्नस्थापित करना।
♦ आपात स्थिति में महिलाओं की सहायता करना।
♦ पीड़ित महिला को पुर्नस्थापित करना।
♦ महिलाओं को स्व-रोजगार के लिये प्रेरित करना।
♦ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना।
♦ महिला का सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिणिक स्तर बढाना।
मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना के लक्ष्य समूहः-
♦ दुर्रव्यापार से बचाई गई महिलाएं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करती हो।
♦ ऐसिड विक्टिम
♦ जेल से रिहा महिलाऐं
♦ परित्यकता/तलाकशुदा महिलायें जो गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करती हो।
♦ शासकीय एवं अशासकीय आश्रय गृह, बालिका गृह, अनुरक्षण गृह आदि गृहों में निवासरत विपत्तिग्रस्त
बालिका/महिलायें
♦ दहेज प्रताड़ित/अग्नि पीड़ित महिलायें
♦ बाल विवाह पीड़ित
♦ बलात्कार से पीड़ित महिला या बालिका।
महिला सशक्तिकरण के लिए बनाई गई योजनाएं निम्न हैं-
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रमः
- बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 22 जनवरी, 2015 को पानीपत, हरियाणा में इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के मुद्दे के प्रति लोगों को जागरूक करना है
- इस कार्यक्रम का समग्र लक्ष्य लिंग के आधार पर लड़का और लड़की में होने वाले भेदभाव को रोकने के साथ साथ प्रत्येक बालिका की सुरक्षा, शिक्षा और समाज में स्वीकृति सुनिश्चित करना है।
- किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला)
- केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की शुरूआत 1 अप्रैल, 2011 को की गई थी
- इस कार्यक्रम को ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ की देख-रेख में चलाया जा रहा है
- इस कार्यक्रम के तहत भारत के 200 जिलों से चयनित 11-18 आयु वर्ग की किशोरियों की देखभाल ‘समेकित बाल विकास परियोजना’ के अंतर्गत की जा रही हैद्य इस कार्यक्रम के तहत लाभार्थियों को 11-15 और 15-18 साल के दो समूहों में विभाजित किया गया हैं
- इस योजना के तहत प्राप्त होने वाले लाभों को दो समूहों में विभाजित किया गया है (अं).पोषण (11-15 वर्ष तक की लड़कियों को पका हुआ खाना दिया जाता है) (ब). गैर पोषण (15-18 वर्ष तक की लड़कियों को आयरन की गोलियां सहित अन्य दवाइयां मिलती हैं)
- प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना
- इस योजना की शुरुआत प्रधामंत्री मोदी द्वारा 1 मई 2016 को की गई थीं
- इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलेंगें
- योजना का मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनकी सेहत की सुरक्षा करना है।
- इस योजना के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना चाहती हैं।
- अन्य प्रमुख योजनाँ
- लाड़ली लक्ष्मी योजना
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
- समेकित बाल विकास परियोजना
- पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन)
- वन स्टॉप सेंटर
- समेकित बाल संरक्षण योजना
निष्कर्षः- उपर्युक्त योजनाओं के माध्यम से इतना तो स्पष्ट है कि सरकार महिलाओं के समग्र विकास के लिए हर तरह के प्रयास काफी लम्बे समय से करती आ रही है और यही कारण है कि आज समाज में महिलाओं की भूमिकाओं में बहुत तरह के बदलाव भी दिखायी देने लगे हैं आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहाँ पर महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज ना करायी हो।
स्वपनिल सिंह1, डा0 दीक्षा गौतम2
शोध विद्यार्थी1 सहायक प्राध्यापक2
पारिवारिक संसाधन प्रबंधन और उपभोक्ता विज्ञान विभाग आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज1
पारिवारिक संसाधन प्रबंधन और उपभोक्ता विज्ञान विभाग बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा2