बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर, प्रो. राणा प्रताप सिंह के सानिध्य में उनके पूर्व और वर्तमान शोध छात्रों की एक छोटी सी पहल द्वारा ओजोन संरक्षण दिवस के अवसर पर मोहनलालगंज स्थित आशालयम (बाल गृह) रायबरेली रोड, लखनऊ में बच्चों के साथ एक छोटी सी परिचर्चा का आयोजन किया गया।
भारी बारिश के कारण कार्यक्रम 16 सितंबर से स्थगित कर 18 सितंबर, रविवार को आयोजित किया गया। इस दो घंटे (11.00 -1.00pm) के कार्यक्रम के संदर्भ में, हमारे आगमन पर बच्चे बहुत प्रसन्न हुए, बच्चों ने स्वागत गीत के माध्यम से हम सभी का अपने आशालयम में स्वागत किया। बच्चे काफी प्रसन्न और उत्साहित हुए। बच्चों के साथ दुखों के पल, सुखों के पल, विज्ञान के पल और जिज्ञासा के पलों को शोध छात्रों ने साझा किया। जब बच्चे कुछ अच्छा करते हैं तो हमारे आसपास, समाज और हमारा देश गौरवान्वित महसूस करता है।
गुरुजी जब बच्चों से रूबरू मुखातिब हुए तो बच्चों के मन में बहुत सारे प्रश्नों की लड़ी सी लग गई। बच्चों ने जिज्ञासावश पहला ही प्रश्न गुरु जी से पूछ लिया कि, पीएचडी क्या है? इसमें प्रवेश कैसे लेते हैं? इस के संदर्भ में गुरु जी ने बच्चों को एक छोटी सी कहानी (हाथी और छ: अंधे) के माध्यम से बड़ी सरल भाव से उन्हें समझाया कि किस प्रकार से 6 अंधे दोस्त एक हाथी को छूकर उसे पहचानने की कोशिश करते हैं और अंत में वह किस प्रकार से सफल होते हैं यह जानने के लिए कि हाथी किस प्रकार से जान पड़ता है वे निरंतर हाथी को छूते हैं और प्रत्येक अंधा व्यक्ति अपना पक्ष सामने रखता है कि हाथी का कौन सा भाग कैसा प्रतीत हो रहा है। अंततोगत्वा, सभी अंधे हाथी को छूकर यह समझते हैं कि वह कैसा दिखाई पड़ता होगा। गुरु जी ने बताया कि निरंतर अथक प्रयास से सफलता कैसे मिलती है। गुरु जी ने यह भी बताया कि ज्ञान के बल पर सत्य को खोजा जा सकता है और यही सत्य हमारे शोधार्थी की अपनी पीएचडी के दौरान करते हैं और अपनी थीसिस लिखते हैं इसे पब्लिश करते हैं और अपने जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं और समाज में अपना योगदान करते हैं। गुरु जी ने बताया कि किस प्रकार से नेट की परीक्षा क्वालीफाई कर आप पीएचडी में आसानी से प्रवेश ले सकते हैं।
पर्यावरण प्रहरी संकाय ग्रुप के मेंबर्स मिस सोनम, मिस्टर पवन कुमार यादव और मिस्टर प्रदीप कुमार, डॉ. रोस मिंज ने, बच्चों को ओजोन क्या है? यह कहां पर स्थित है? यह हमारे लिए किस प्रकार से फायदेमंद है? यह पृथ्वी के लिए किस प्रकार से फायदेमंद है ? और ओजोन दिवस क्यों मनाते हैं? इसकी जानकारी दी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ओजोन में जो क्षति पहुंचती है उसको हम किस प्रकार से कम कर सकते हैं शोध छात्रों ने यह भी बताया की अधिक रसायनों के प्रयोग से जमीन तो बंजर हो रही है, साथ ही वह ओजोन को भी किस प्रकार से नुकसान पहुंचा रहा है, गाड़ी से निकलने वाले धुएं से किस प्रकार नुकसान होता है, पराली को जलाने से क्या होता है? वह किस प्रकार ओजोन को नुकसान पहुंचा रहा है। छोटी-छोटी बातों द्वारा शोध छात्रों ने बच्चों का काफी ज्ञानवर्धन किया, बच्चे भी काफी उत्साहित होकर उनसे प्रश्न पूछते और वह उनका उत्तर देते।
कार्यक्रम के उपरांत बच्चों ने शोध छात्रों को अपना कैंपस दिखाया। उन्होंने दिखाया कि किस प्रकार से वह अपने कैंपस में कृषि कार्य करते हैं, मुर्गी पालते हैं, मछली पालन का कार्य करते हैं और छोटे से गार्डन में सब्जियों को बोने का काम करते हैं। शोध छात्रों ने भी उनके इस प्रयास की काफी सराहना की और उनके इस प्रयास को पर्यावरण से और ओजोन से जोड़कर उनके ज्ञान को और बढ़ाया।
डॉ. रोस प्रतिमा मिंज
पर्यावरण प्रहरी संकाय ग्रुप द्वारा आशालयम को केले के पौधे, आम के पौधे, आंवला और अमरुद के पौधे और बच्चों के लिए मिठाई,फल, पेन, मोजे, और सुखा राशन उनको भेंट स्वरूप दिया गया। कार्यक्रम के दौरान गुरु जी द्वारा आम्रपाली (आम)के वृक्ष का रोपण कार्य भी किया गया। शोध छात्रों ने बच्चों को वृक्षारोपण की महत्व को भी बताया। इन सभी के उपरांत उन्होंने एक आशीष-गीत गाकर हम सभी को विदाई दी।