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    Small Industry

    मत्स्य पालन कैलेण्डर

    डॉ0 सुमन कुमार सिन्हा
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    आजकल किसानों के लिये मत्स्य पालन कार्य ग्रामीण रोजगार तथा आय का एक अच्छा साधन बनता जा रहा है। इसके प्रति रुचि उत्पन्न होने से लोग इसे व्यवसाय के रुप में अपनाने लगे हैं। तालाबों से अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि इस कार्यक्रम को पूरे वर्ष वैज्ञानिक ढ़ग से सम्पादित किया जाये। मत्स्य पालन के दौरान वर्ष के किस माह में कौन कौन से कार्य किये जायें इसकी जानकारी मत्स्य पालक को होना आवश्यक है। तदसम्बन्धी विवरण निम्नवत् है:-

     

    माह सम्पादित किये जाने वाले कार्य
    मई तहसील स्तर से ग्राम सभा के तालाब का 10 वर्षीय पट्ठा प्राप्त करना।
    निजी स्वामित्व के अकृषक, जलमग्न भूमि पर नया तालाब बनाने के लिये स्थल का चयन तथा स्थल के मृदा का परीक्षण कराना।
    पट्ठे के तालाब के सुधार या नये तालाब के निर्मााण पर व्यय हेतु मत्स्य विभाग से सम्पर्क कर ऋण/शासकीय अनुदान व्यवस्था।
    जून किसी मत्स्य विशेषज्ञ के देखरेख में पुराने तालाब की खुदायी/ बन्धों/आउटलेट आदि के सुधार कार्यं को पूर्ण करना।
    पुराना तालाब होने की दशा में अवांछनीय मछलियों तथा जलीय वनस्पतियों का उन्मूलन कर तालाब की सफाई करना।
    मृदा परीक्षण में मृदा उपयुक्त पाये जाने पर किसी मत्स्य विशेषज्ञ के देखरेख में नये तालाब के निर्मााण कार्य को पूर्ण करना।
    तालाब में 1 से 1.5 मीटर जल भरवा कर निर्धारित मात्रा में चूना, गोबर के खाद, सरसों खली आदि का निर्धारित मात्रा में डालना।
     उक्त उत्पादन निवेशो के प्रयोग के 10-15 दिनों के उपरान्त ंतालाब के जल में प्लवक (प्लेंक्टान) के मात्रा की जानकारी करना।
    माह जुलाई में मत्स्य बीज की आपूर्ति हेतु मत्स्य विशेषज्ञ के सलाह के अनुसार मत्स्य विभाग में अग्रिम धनराशि/मांग पत्र देना।
    जुलाई निजी क्षेत्र/मत्स्य विभाग के हैचरियों से गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज निर्धारित प्रजाति अनुपात/संख्या में प्राप्त कर तालाब में संचित करना। प्रयास ये रहे की 10-15 से0मी0 के बड़ी साईज का एक वर्ष पुराना मत्स्य बीज का संचय किया जाये।
    तालाब के जल में प्लवकों की निर्धारित मात्रा में उत्पादन बनाये रखने हेतु गोबर की खाद, रसायनिक उर्वरक यथा सिंगल सुपर फास्फेट, यूरिया, म्यूरेट आफ पोटाश डालना चाहिये।
    तालाब में प्रति दिन सरसों की खली तथा धान का कणा या बाजार में उपलब्ध सन्तुलित आहार निर्धारित मात्रा में डालना चाहिये।
    माह में कम से कम 2-3 बार जाल चला कर मछलियों के ब़ढ़ोत्तरी तथा बीमारी आदि का निरीक्षण करते रहना चाहिये।
    अगस्त तालाब में निर्धारित मात्रा में बुझा चूना, गोबर की खाद, सिंगल सुपर फास्फेट, यूरिया, म्यूरेट आफ पोटाश डालना चाहिये।
    तालाब के जल में प्राकृतिक भोजन प्लवक (प्लेंक्टान) के मात्रा की जानकारी प्लेंक्टान नेट के द्वारा करना चाहिये। निर्धारित मात्रा से कम होने पर गोबर की खाद की मात्रा बढ़ा देना चाहिये तथा ज्यादा होने पर गोबर की खाद की मात्रा कम कर देना चाहिये।
    तालाब में जाल चलाने पर प्रत्येक प्रजाति के कम से कम दस मछलियों को अलग अलग तौल कर प्रजातिवार औसत वजन की जानकारी कर यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि उनकी कितनी बढ़ोत्तरी हो रही है। तदनुसार ही कृत्रिम/पूरक आहार प्रतिदिन तालाब में सुबह/शाम डालना चाहिये। आजकल तालाब के किनारे अनेक स्थानों पर सीमेंन्ट की नाद जल में रख कर उसमें कृत्रिम आहार भर देते हैं। मछलियाँ अपने आवश्यकतानुसार उसे खाती रहती हैं।
    जाल चलाने के दौरान यदि मछलियों के शरीर पर किसी भी प्रकार का सफेद, काले या लाल धब्बे दिखायी पड़े तो तत्काल किसी मत्स्य विशेषज्ञ की देखरेख में दवाओं का प्रयोग कर उसका उपचार करना चाहिये।
    आजकल बाजार में विभिन्न कम्पनियों के वाटर सैनिटाईजर दवा उपलब्ध हैं जिनके आवश्यकतानुसार प्रयोग से तालाब के तलहठी में बनने वाली मछलियों कें लिये हानिकारक विषैली गैसों से छुटकारा मिल जाता है और मत्स्य उत्पादन प्रभावित नही्रं होता है।
    सितम्बर – नवम्बर तालाब के जल में प्राकृतिक भोजन प्लवक (प्लेंक्टान) के मात्रा की जानकारी प्रत्येक माह प्लेंक्टान नेट के द्वारा करना चाहिये।
    तालाब के जल में तथा किनारो पर उगने वाले वनस्पतियों कों साफ करते रहना चाहिये। जल में उगने वाले वनस्पतियों के सफाई के लिये उसमें तेजी से बढ़ने वाली ग्रास कार्प प्रजाति के मत्स्य बीज भी संचित करना चाहिये जो इन वनस्पतियों कों खा जाती हैं।
    तालाब में यदि ग्रास कार्प प्रजाति के बीज का भी संचय किया गया हो तो उनके भोजन के लिये प्रत्येक दिन तालाब में बरसीम घास, गोभी के हरे पत्ते, मटर के हरे छिलके आदि डालना चाहिये। ये अपनेे वजन के बराबर हरीघास आदि रोज खा जाती हैं।
    तालाब में प्रत्येक दिन कृत्रिम/पूरक आहार सुबह/शाम डालना चाहिये।
    माह में कम से कम 2 बार जाल चलाकर मछलियों का निरीक्षण करते रहना चाहिये। किसी भी प्रकार के बीमारी कें लक्षण दिखने पर मत्स्य विशेषज्ञ के परामर्श के अनुसार तत्काल उपचार प्रारम्भ कर देना चाहिये।
    तालाब के जल से यदि बदबू आये या तलहठी में विषैली गेैस बने तो किसी वाटर सैनिटाईजर दवा का प्रयोग करना चाहिये।
    दिसम्बर

    व

    जनवरी

    तालाब के जल के रंग का निरीक्षण करते रहना चाहिये, यदि जल का रंग हरा हो जाये तो रासायनिक उर्वरक का प्रयोग बन्द कर देना चाहियें। पुनः तालाब के जल का आर्दश रंग हल्का भूरा हो जाये तो उर्वरकों का प्रयोग प्रारम्भ कर देना चाहिये।
     जाड़े के दिनों में मछलियों की पाचन शक्ति प्रभावित होती है ऐसे में उनकी बढ़ोत्तरी कम हो जाती है। पाचन शक्ति को ठीक रखने के लिये जाड़े के दिनों में 1000 कि0ग्रा0 पूरक आहार में एक लीटर अरन्डी का तेल मिला कर प्रत्येक माह देना चाहिये।
    मछलियों के निरीक्षण के लिये जाल चलाने पर जाल से रगड़ के कारण उनके शरीर पर घाव लगने की की सम्भावना होती है। ऐसी दशा में 1 ग्राम लाल दवा (पोटैशियम परमैगनेट) का 100 लीटर जल में किसी टब में घोल बना कर उसमें घायल मछलियों को 2-4 मिनट तक स्नान करा कर तालाब में डाल देना चाहिये, इससे उन्हें बीमारी होने की सम्भावना नहीं रहती है।
    तालाब में प्रत्येक दिन कृत्रिम/पूरक आहार सुबह/शाम डालना चाहिये।
    फरवरी

    व

    मार्च

    कामन कार्प प्रजाति के गुणवत्तायुक्त बड़े साईज के बीज का संचय करना।
    तालाब में जल स्तर 1 – 1.5 मीटर तक बनाये रखना चाहिये, शाम के समय 1-2 घण्टे बोरिंग से ताजा जल मिलाना चाहिये।
    प्रत्येक दिन तालाब में कृत्रिम/पूरक आहार सुबह/शाम डालना चाहिये। किसी वाटर सैनिटाईजर दवा का प्रयोग करना चाहिये।
    गोबर की खाद, रसायनिक उर्वरक यथा सिंगल सुपर फास्फेट, यूरिया, म्यूरेट आफ पोटाश प्रत्येक माह तालाब में डालना चाहिये।
    अप्रैल  जाल की व्यवस्था कर उचित साईज के मछलियों को निकाल कर बिक्र्री करना। शादी, ब्याह के सीजन में अच्छा मूल्य मिलता है।
    मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य करना हो तो बड़े साईज के मछलियों को अलग तालाब में रख कर श्रावक के रुप मे पोषित करना।
    मत्स्य बिक्री से प्राप्त आय से बैंक ऋण, ब्याज, तथा तालाब के लगान आदि का भुगतान करना।
    तालाब की वार्षिक सफाई, मरम्मत, जाल आदि के मरम्मत का कार्य करना। यदि तालाब सुखाने योग्य हो तो सुखा देना चाहिये।

     

    डॉ0 सुमन कुमार सिन्हा

    म0न0- ई-112A एयर टेल टावर के सामने, मुरारी का बाग

    बिछिया जंगल तुलसीराम, पो०- पी० ए० सी० कैम्प, गोरखपुर 273014

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