Author: Krishna

The effectiveness of cultivating hybrid rice hinges on the triumphant execution of the hybrid rice seed production initiative, facilitating the cost-effective production of top-tier seeds. Specialized methodologies are imperative for hybrid rice seed production, demanding a comprehensive grasp among the production personnel. The utilization of the three-line system in hybrid rice seed production, employing the A line (female), B line (maintainer), and R line (restorer) – encompasses a threefold process: Multiplication of A line Multiplication of B and R lines Production of hybrid seed (A x R) Attaining superior quality F1 seeds within the hybrid seed production scheme mandates a…

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आज के नौकरी बाजार और कंपनियों को स्मार्ट और कुशल लोगों की जरूरत है जो चीजों को बेहतर बना सकें और कंपनी के लिए उनकी उत्पादकता में मूल्य जोड़ सकें। नियुक्ति करते समय, एक नियोक्ता किसी विशिष्ट भूमिका के लिए बहु-कुशल या विशेषज्ञ की तलाश करता है। कई उपलब्ध अध्ययन और निष्कर्षों से पता चलता है कि महज शैक्षणिक डिग्री नियोक्ता के उद्देश्य को पूरा नहीं करती है। उद्यमिता अवधारणा के उद्भव के साथ, नियोक्ता का दृष्टिकोण बदल गया है। आवश्यक शैक्षणिक और तकनीकी एवं व्यावसायिक कौशल के साथ वे उद्यमशीलता दक्षता रखने वाले संभावित उम्मीदवारों की तलाश करते हैं।…

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Abstract The increasing frequency and severity of extreme climate events present significant challenges to microbial communities. These microorganisms play a pivotal role in shaping nutrient cycling, soil health, and the stability of ecosystems. However, changes in temperature patterns, precipitation cycles, and extreme weather events have direct consequences on microbial physiology, community structure, and overall ecosystem function. Consequently, the resilience of microbial communities becomes paramount for their persistence and effective functioning. Microbes exhibit plasticity at the cellular level, altering metabolic pathways, membrane composition, and stress response mechanisms in response to changing environmental conditions. This review explores microbial adaptations and responses to…

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Summary Women farmers play a huge role in the agriculture sector of India. The farm women are engaged at all levels of agricultural value chain; i.e., production- pre-harvest, post-harvest processing, packaging, marketing to increase productivity in agriculture. Nearly 75% of the full-time workers on Indian farms are women who contribute about 60-80% of total food production in India. Women’s participation rate is as high as 70% in the livestock sector, about 47% in tea plantations and cotton cultivation; 45% in oilseeds production, and 39% in vegetable production. Backyard poultry farming run mainly by women contribute 20% to the chicken Industry.…

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जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि ने हमें एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां से पीछे हटना मुश्किल है। इस बढ़ती आबादी के अपने परिणाम हैं जैसे संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, भूमि उपयोग और भूमि आवरण में परिवर्तन, पर्यावरण और जैव विविधता में गिरावट आदि। एक परिभाषित क्षेत्र में जनसंख्या। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत की शहरी आबादी 2021 में 33% को पार कर गई थी, जिसे 2026 तक पहुंचना था। इसका मतलब है कि भारत की शहरी आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है, शहरीकरण का प्रभाव स्वच्छता, भीड़भाड़ आदि जैसे विभिन्न मुद्दों के साथ…

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सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीदास बॉस पिछली सदी 18वीं के 80 के दशक में उड़ीसा आए थे तथा वकालत के पेशे में खुद को स्थापित करके कटक में बस गए थे। वहीं 23 जनवरी सन 1897 दिन शनिवार को सुभाष बोस का जन्म हुआ। उनके पिता माही नगर के बॉस लोगों के वंशज थे जबकि सुभाष बोस की मां प्रभाबती बल्कि कहना चाहिए प्रभावती हटखोला के परिवार से आई थी। सुभाष बोस अपने माता पिता के छटवें पुत्र तथा कुल मिलाकर नौवीं संतान थे। सुभाष बोस का परिवार बहुत अमीर तो नहीं था पर एक खाता पीता मध्यवर्गीय परिवार…

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इस क्लाइमेट चेंज नै ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाई रै।। पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।। 1 वातावरण पै घणा कसूता इसनै असर दिखाया जल यो पूरी दुनिया का प्रदूषित हुया बताया जमीन तले के पाणी मैं कीटनाशक दवा पाई रै।। पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।। 2 कीटनाशक शरीर मैं घणे नुकसान करै कहते कैंसर का प्रकोप घणा हम इसके करकै सहते विकास यो टिक्या मुनाफे पै म्हारे नाश की राही रै।। पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।। 3 खेती आली धरती पै जलवायु संकट छाग्या भाई इसकी उपज की ताकत पूरे तरियां खाग्या भाई…

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ज्ञान विज्ञान को साधकर अपने हित में इस्तेमाल करने की जो क्षमता मनुष्य मे विकसित हुई, वह पृथ्वी-तन्त्र के अन्य जीवों में नहीं है । पेड़-पौधों और बहुत से अन्य जीव-जन्तु हाँलाकि मनुष्य से अधिक संघर्षशील, बुद्धिमान और उदार हैं, उन्होंने मनुष्य की तरह पृथ्वी-तन्त्र के खिलाफ अपने वर्चस्व का तन्त्र नहीं बनाया । उन्होंने प्रकृति की सार्वभौमिक व्यवस्था से छेड़-छाड़ नहीं की । इनमें से कई पृथ्वी-तन्त्र के लिए मनुष्य से भी अधिक उपयोगी हैं, जैसे हरे पेड़ और अन्य हरी वनस्पतियाँ, जो सूरज की ऊर्जा सोखकर पृथ्वी के समूचे जैविक-तन्त्र के लिए भोजन और प्राण वायु निर्मित करते…

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खेतो मे प्रयोग मे लाये जाने वाले कृषि निवेशको मे सबसे महंगी सामाग्री रासायनिक उर्वरक है। उर्वरको के सीर्ष उपयोग की अवध हेतु खरीफ और रबी के पूर्व उर्वरक विनिर्माता फैक्टरिओ तथा विक्राताओ द्वारा नकली और मिलावटी उर्वरक बनाने एवं बाजार मे उतारने की कोशिश होती है। इसका सीधा प्रभाव किसानो पर पड़ता है। नकली और मिलावटी समस्या से निपटने के लिए यद्दपी सरकार प्रतिबद्द है फिर भी यह आवश्यक है की खरीदारी करते समय कृषक भाई उरवरको की शूद्धता मोटे तौर पर उसी तरह से परख ले, जैसे की बीजो की शूद्धता बीज को दातो से दबाने पर कट…

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