आज के नौकरी बाजार और कंपनियों को स्मार्ट और कुशल लोगों की जरूरत है जो चीजों को बेहतर बना सकें और कंपनी के लिए उनकी उत्पादकता में मूल्य जोड़ सकें। नियुक्ति करते समय, एक नियोक्ता किसी विशिष्ट भूमिका के लिए बहु-कुशल या विशेषज्ञ की तलाश करता है। कई उपलब्ध अध्ययन और निष्कर्षों से पता चलता है कि महज शैक्षणिक डिग्री नियोक्ता के उद्देश्य को पूरा नहीं करती है।
उद्यमिता अवधारणा के उद्भव के साथ, नियोक्ता का दृष्टिकोण बदल गया है। आवश्यक शैक्षणिक और तकनीकी एवं व्यावसायिक कौशल के साथ वे उद्यमशीलता दक्षता रखने वाले संभावित उम्मीदवारों की तलाश करते हैं। नियोक्ता अपनी टीमों के लिए सर्वोत्तम लोगों को खोजने और टीम में बनाए रखने के लिए विभिन्न तरीकों की कोशिश कर रहे हैं, शैक्षणिक संस्थानों से कैंपस प्लेसमेंट के तहत उम्मीदवारों को नौकरी का प्रस्ताव देना ताकि उन्हें आवश्यक कार्य भूमिका के अनुसार प्रशिक्षित और तैयार किया जा सके। ।1980 के दशक में ब्रिटेन में, 1990 के दशक में यूरोप में और बाद में ऑस्ट्रेलिया में, विशेषज्ञ यह समझने के लिए अलग-अलग मॉडल लेकर आए कि कौन से कौशल किसी को रोजगार योग्य बनाते हैं। ये मॉडल तकनीकी क्षमताओं और व्यक्तिगत गुणों दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अच्छी तरह से कहा, “अपनी नौकरी से प्यार करें लेकिन अपनी कंपनी से प्यार न करें, क्योंकि आप नहीं जान पाएंगे कि आपकी कंपनी कब आपसे प्यार करना बंद कर देगी।” मानसिकता में यह बदलाव व्यक्तियों को अपने करियर पर नियंत्रण रखने, लक्ष्यों को प्राथमिकता देने, व्यक्तिगत विकास के लिए मानक निर्धारित करने और स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने का अधिकार देता है।
“रोजगार योग्यता” केवल नौकरी पाने के बारे में बात नहीं करती है” (एटकिन्स, 1999)। यह अच्छी तरह से काम करने में सक्षम होने और सकारात्मक कार्य संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाले नए विचारों और अच्छे आचरण के माध्यम से समाज में योगदान देने के बारे में है। कस्बों और उप-महानगरों में युवा रोजगार कौशल को कैसे देखते हैं – विशेष रूप से इसे समझने की बहुत आवश्यकता है I विदेशी भाषा सीखना या बोलना उतना महत्वपूर्ण नहीं है, अपनी भाषा और आधिकारिक भाषा अंग्रेजी को सही ढंग से जानना और संचार में अच्छा होना आज के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। सोशल मीडिया के उपयोग ने भाषा के मूल रूप की सुंदरता और संस्कृति को अपभ्रंश कर दिया है। यह भी देखा गया है कि उम्र, लिंग और शिक्षा का स्तर लोगों के रोजगार कौशल के महत्व को देखने के नज़रिये को नहीं बदलता है। इसलिए, युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ नौकरी पाना नहीं है बल्कि सकारात्मक प्रभाव डालने और इसके प्रति अपनी मानसिकता को बदलने में सक्षम होना है I
प्रौद्योगिकी के विकास के साथ उद्योग और प्रतिस्पर्धा में भी प्रासंगिक बने रहने के लिए कौशल उन्नयन (Upskilling) अनिवार्य हो गया है, अन्यथा व्यक्ति अपने साथियों से पिछड़ जाएगा। दूसरी तरफ, अनुभवी होने के बावजूद कई लोग नई और बदलती तकनीक तथा पेशेगत (Professional) मांग के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई महसूस करते हैं। नियोक्ता आज “रोजगार योग्यता कौशल” के महत्व पर जोर देते हैं – ऐसे कौशल जो पात्रता और अनुभव से परे हैं।
नियोक्ता अभ्यर्थी में यूनिक गुण तलाशने लगे हैं, जैसे:
- सहकर्मियों के साथ आसानी से कनेक्ट होना
- समस्या समाधान की मानसिकता और क्रिटिकल थिंकिंग
- संगठन या कंपनी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए टीम की भावना के साथ काम करना
- कार्य स्थल पर अपनी भूमिका को समझना और अपना समझना
- अपनी जिम्मेदारियों को स्वतंत्र रूप से संभालने की क्षमता होना
- चुनौतियों के लिए तैयार होना और जो सीखने का आनंद ले सकें
बाजार में अपनी छवि, गुणवत्ता और उत्पादकता को लेकर कंपनियां पहले की तुलना में ज्यादा जागरूक हुईं हैं। इसके लिए, वे अपने कर्मचारियों में कार्य-तत्परता (work-readiness) कौशल विकसित करने के लिए प्रशिक्षण (Training) पर समय और पैसा निवेश करने लगीं हैं। भारत की 74% जनसंख्या 44 वर्ष से कम आयु की है। इसके अलावा 607 मिलियन जनसंख्या 0 -24 वर्ष वर्ष के आयु वर्ग में है। हमारे देश में आजीविका से जुड़ने वाला कार्य-बल (employable workforce) 434 मिलियन है।
(स्रोत: भारत जनसंख्या सांख्यिकी 2024 | भारत की वर्तमान जनसंख्या – वैश्विक सांख्यिकी- (Source: India Population Statistics 2024 | Current Population of India – The Global Statistics)
हमारे देश में इस जनसंख्या विस्फोट के साथ जहां नौकरियां सीमित हैं, नियोक्ता रोजगार कौशल और तकनीकी विशेषज्ञता वाले एक ऑलराउंडर को नियुक्त करना पसंद करते हैं जो पेशेगत (Professional) लक्ष्यों को पूरा कर सके। ऐसे में परंपरागत डिग्रियां लेकर युवाओं के पास अवसर ज्यादा नहीं होते। रोजगार योग्यता कौशल के बारे में चर्चा करते समय, यह जानना बहुत प्रासंगिक है कि केवल नौकरी ही आय उपार्जन का विकल्प नहीं है। युवा पीढ़ी सम्मानजनक आजीविका के लिए उद्यमिता यात्रा शुरू करने के लिए अपनी रुचि के अनुसार उचित प्रशिक्षण लेकर अपने विचारों, यदि उनके पास कोई है, पर काम कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दूसरों के लिए भी रोजगार सृजन होगा।
देश प्रत्येक जिले में आरसेटी (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) जैसे संस्थान हैं जो अग्रणी बैंक द्वारा स्थापित किए जाते हैं और ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में काम करते हैं। यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि आरसेटी में छात्रावास सुविधा के साथ प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क है I पूरे देश में इस समय 590 संस्थान कार्यरत हैं।
आरसेटी (RSETI) क्या है?
आरसेटी ग्रामीण विकास और स्व-रोज़गार प्रशिक्षण संस्थान (RUDSETI- rudsetitraining.org) की प्रतिकृति है, जिसे 1982 में दूरदर्शी नेता डॉ. डी. वीरेंदा हेगड़े ने एसडीएमई ट्रस्ट, सिंडिकेट बैंक और केनरा बैंक के सहयोग से ग्रामीण उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए अल्पकालिक गुणवत्ता प्रशिक्षण और दीर्घकालिक सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया था।
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी- RSETI) ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसने ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के साथ उद्यमिता विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए देश के हर जिले में एक संस्थान की स्थापना की है, जहां विभिन्न ट्रेड में उद्यमिता विकास के प्रशिक्षण के साथ द्धारा ग्रामीण युवाओं में उद्यमिता के प्रति रुझान उत्पन्न करने की तरफ ध्यान दिया जाता है। बैंकों द्वारा प्रबंधित, आरसेटी भारत सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से काम करती है।
राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनएसीईआर)
NACER की भूमिका आरसेटी के इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग इक्विपमेंट और ट्रेनिंग क्वालिटी सहित समस्त संचालन की मॉनिटरिंग करने निभाता है। एनएसीईआर टीम में एक राष्ट्रीय निदेशक और राज्य-निदेशक शामिल हैं।
प्रशिक्षुओं के लिए पात्रता:
- उम्र – 18 से 45 वर्ष
- शिक्षा – साक्षर/ आठवीं पास
- क्षेत्र प्राथमिकता – ग्रामीण
कार्यक्रम संरचना एवं सामग्री:
आरसेटी के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है:
- कृषि ईडीपी – कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर प्रशिक्षण शामिल है I
- उत्पाद ईडीपी – सिलाई, खाद्य प्रसंस्करण और हथकरघा और हस्तशिल्प से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाते हैं I
- प्रोसेस ईडीपी – इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक मरम्मत और सेवा, और सौंदर्य और कल्याण आदि से संबंधित प्रशिक्षण शामिल है I
- सामान्य ईडीपी स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर रोजगार योग्यता कौशल और क्षमता निर्माण और सामान्य कौशल विकास प्रशिक्षण से संबंधित है I
संस्थान स्थानीय संसाधनों और मांग के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का चयन करता है, इसमें प्रशिक्षुओं के लिए सामान्य कौशल विकास और स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर प्रशिक्षण दिए जाते हैं I
आरसेटी के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए एनएसक्यूएफ संरेखित मॉड्यूल (NSQF Alligned Module) है जो एनसीवीईटी (NCVET) द्वारा अनुमोदित है I ईडीपी प्रशिक्षण सभी प्रशिक्षण मॉड्यूल में एकीकृत है।
प्रशिक्षुओं का चयन और बैच का आकार:
एसजीएसवाई (SGSY) दिशानिर्देशों के अनुसार कम से कम 70% प्रशिक्षु ग्रामीण बीपीएल (Rural Poor) श्रेणी से होने चाहिए, जिसमें एससी/एसटी, अल्पसंख्यकों, शारीरिक रूप से विकलांग और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है I एक बैच में 25-35 उम्मीदवार होते हैं I इसके अतिरिक्त श्रमदान, योग और मिली दैनिक प्रशिक्षण गतिविधियों का हिस्सा हैंI
मूल्यांकन के माध्यम से आरएसईटीआई प्रशिक्षुओं की मान्यता:
प्रशिक्षण के बाद, मूल्यांकन एवं प्रमाणन निकाय प्रशिक्षण के अंतिम दिन मूल्यांकन करता है। इसमें 300 के कुल स्कोर को विभाजित किया गया है:
- फॉर्मेटिव स्कोर (Formative Score)- 100 अंक
- योगात्मक स्कोर सिद्धांत (Summative Score Theory) – डोमेन कौशल (70) और ईडीपी (30)
- योगात्मक स्कोर (Summative Score) – प्रैक्टिकल (70) और ईडीपी वाइवा (30)
जो उम्मीदवार मूल्यांकन के बाद अर्हता प्राप्त करते हैं, उन्हें उनके अधिकार क्षेत्र के राज्य नियंत्रक (मूल्यांकन और गुणवत्ता आश्वासन) द्वारा प्रमाणित किया जाता है।
राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) के दिशानिर्देशों के तहत वैध प्रमाणपत्र वाले प्रमाणित प्रशिक्षुओं को सभी बैंकों द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिससे उन्हें ऋण/क्रेडिट के लिए किसी भी अनुसूचित बैंक तक पहुंचने की अनुमति मिलती है।
आरसेटी प्रमाण (rsetipraman.org)
होम – राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (ncvet.gov.in)
क्रेडिट लिंकेज:
आरएसईटीआई प्रशिक्षुओं की ऋण आवश्यकताओं का मूल्यांकन करता है और जानकारी बैंक शाखाओं को भेजता है। प्रशिक्षु एसजीएसवाई या अन्य सरकार प्रायोजित कार्यक्रमों के तहत बैंक ऋण का लाभ उठा सकते हैं। (To know more about RSETIs: Rural Self Employment Training Institutes (nirdpr.org.in), RURAL SELF EMPLOYMENT TRAINING INSTITUTES | Ministry of Rural Development | Government of India
(To download the list of RSETIs: LISTOFREDS.pdf (kviconline.gov.in))
Abstract:
In today’s dynamic job market, employers seek smart and skilled individuals capable of enhancing productivity and adding value to their organizations. Traditional academic degrees alone are insufficient, with employers now prioritizing entrepreneurial competencies alongside academic and technical skills. The shift in mindset empowers individuals to take control of their careers and prioritize personal growth while maintaining work-life balance. Employability goes beyond securing a job; it involves contributing to society through innovative ideas and fostering a positive work culture. The evolving technological landscape necessitates continuous upskilling to stay relevant, and employers emphasize “employability skills,” such as problem-solving, teamwork, and a willingness to learn. Companies invest in developing work-readiness skills for employees, recognizing the importance of image, quality, and productivity in the market. With a large youth population in India, promoting entrepreneurship through skill training becomes crucial for sustainable livelihoods and employment generation. Initiatives like RSETIs play a vital role in providing skill and entrepreneurship development training, emphasizing the significance of employability skills in achieving success and contributing to societal progress.
Sl. No. | Name | Designation | Organization | Contact No. | Email ID |
1 | Sri R R Singh | National Controller (A&QA) for RSETIs | National Academy of RUDSETI | 81050 33620 | singhrr1971@gmail.com |
2 | Sri Bipul Chandra Saha | Ex- National Director- NACER | National Academy of RUDSETI | 9412842313 | myselfbipulsaha@gmail.com |
3 | Dr S P Singh | Project Coordinator | ICAR- AICRP | 9868577092 | singhsp65@gmail.com |
4 | Dr Rashmi Singh | Principal Scientist | ICAR, PUSA | 9811647293 | rashmi.iari@gmail.com |