लखनऊ जिले के बख्शी का तालाब स्थित रैथा गाँव में 12 जुलाई 2022 को सामाजिक संस्था आईकेयरइंडिया एवं प्रोफेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउंडेशन फॉर साइंस एण्ड सोसाइटी, लखनऊ के साथ मिलकर शुरू किये गये मिशन ‘किसानशाला’ में “एकीकृत प्राकृतिक खेती से किसानो के सतत विकास में एक कदम” के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री मनोज कुमार सिंह ‘कृषि उत्पादन आयुक्त’ उत्तर प्रदेश ने किसानशाला का शुभारम्भ किया | इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री सूर्यपाल गंगवार व मुख्य विकास अधिकारी श्रीमति रिया केजरीवाल भी उपस्थित थे | इस कार्यशाला में प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह, जनरल सेक्रेटरी, प्रोफेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउनडेशन, लखनऊ व डीन शैक्षणिक बीबीएयू, लखनऊ एवं प्रोफेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउनडेशन, से श्री कृष्णानंद सिंह एवं अन्य लोगों ने भागीदारी की | सरकारी संस्थानों के वैज्ञानिक, प्रशासनिक तथा कृषि अधिकारियो के साथ-साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण किसान और स्थानीय महिलाओ ने भाग लिया | आई केयर इंडिया के संस्थापक श्री अनूप गुप्ता ने बताया की किसानशाला का उद्देश्य किसानो के साथ जमीनी स्तर पर काम करके उनको गुणवत्ता पूर्ण कृषि सामग्री और अन्य जैविक सामग्री तथा तकनीक एवं तकनीकी प्रशिक्षण देना हमारा उद्देश्य हैं | जिससे किसानो को कम लागत में अधिक मुनाफा हो सके |
श्री मनोज कुमार सिंह, मुख्य अतिथि, कृषि उत्पादन आयुक्त उ०प्र० शासन ने किसानो को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसानो के प्रयासों का पूरा समर्थन करेंगे, उनका यह भी कहना था, कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार का यही प्रयास है कि कैसे किसानो की लागत कम की जाय और वार्षिक आय बढाने के साथ-साथ पूरे वर्ष कृषि से किसानो को आमदनी होती रहे | उसके लिये ग्रामीण युवाओं को कृषि के लिए लगातार साथ-साथ काम करना होगा, जिसके लिए कृषि परिदृश्य में बदलाव की जरूरत है | सिर्फ गेहूँ चावल की खेती करके यह बदलाव नहीं लाया जा सकता, बल्कि उसके लिए किसानो को वर्ष में 300 दिनों तक खेतो में काम करके लगातार अनेको तरह की फसलें उगानी होगी | उसके साथ हमें नये-नये तरीको से नयी-नयी किस्मों की मदद से खेती करनी होगी और पूरे साल परिश्रम करना होगा तब जाकर सफलता मिलेगी |
प्रोफेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउनडेशन की तरफ से डा. राणा प्रताप सिंह जी ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा की संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य है, कि पोषक भोजन सबको पर्याप्त मात्रा में लगातार उपलब्ध हो सके | यह एक बड़ी चुनौती है, और बढती आबादी तथा विषाक्त होते कृषि पर्यावरण के साथ हम जलवायु परिवर्तन जैसी एक बड़ी समस्या से जूझ रहे है | जलवायु परिवर्तन की वजह से जैविक तंत्र पर अधिक असर होता है, और कृषि उनमे से एक हैं | कृषि में सभी चीजे जीवों से जुडी है, और उन सभी पर मौसम की मार असर करेगी | किसान अधिक मेहनत करने पर भी आय नहीं बढ़ा पा रहा हैं जिससे युवा किसान खेती छोड़ रहे हैं | किसानो को कृषि कार्य से जोड़े रखना और उसे जीविका का साधन बनाकर उनके साथ लगातार लम्बे समय तक बने रहना एक बहुत बड़ी चुनौती हैं |
डा० सिंह ने किसानो से आग्रह किया की कोई भी समस्या रातो-रात हल नही हो सकती, उसके लिए किसानों को थोडा धैर्य रखना होगा| हम सबको मिलकर इसके लिए लगातार काम करना होगा और किसान भाइयो और युवाओं को कृषि वैज्ञानिको एवं सरकारी योजनाओ का समर्थन लेना होगा | कृषि में अकुशल, अर्धकुशल और कुशल युवा किसानों एवं शिक्षित शहरी युवाओ को रोजगार देने की अपार क्षमता हैं | आने वाले समय में कृषि एक बहुत बड़े सेक्टर के रूप में विकसित होगा | जैविक या प्रकृतिक या पारिस्थितिकीय खेती में रोजगार एवं धारणीयता की क्षमता ज्यादा हैं | स्थानीय स्तर पर हम उसमें पड़ने वाले अदानों का उत्पादन कर सकते हैं, और उसका विपणन कर सकते है, क्योंकि इसके लिए बहुत ज्यादा कुशलता की जरूरत नहीं हैं | उन्होंने कहा कि जैव तकनिकी का कृषि में बहुत अच्छा योगदान हैं, क्योंकि खेती से जुडी हुई सभी चीजे जैविक हैं और हमारे स्वास्थ्य से जुडी हैं | अगर आप जहरीला खाना खाते है, तो हमारे शरीर को बहुत नुकसान होता हैं | जैव-तकनीकी से हम कोई भी चीजे उगा सकते है, बेच सकते हैं, इसमे हम प्रोफ़ेसर एच. एस. श्रीवास्तव फाउनडेशन की ओर से जो भी सहयोग चाहिए हम देने के लिए तैयार हैं |
गोष्ठी को जिलाधिकारी महोदय और श्री अतुल गुप्ता जी एवं श्री आलोक रंजन, पूर्व मुख्य सचिव उ०प्र० शासन ने भी संम्बोधित किया और इस अभियान को पूरा समर्थन देने की घोषणा की | सरकारी प्रतिनिधियों ने किसानो के प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया |