एक बार फिर कोरोना महामारी की आहट के चलते उसके नए वैरिएंट “ओमिक्रान” के संक्रमण की घबराहट और खौफ धीरे-धीरे पैर पसार चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने नवम्बर, 2021 को इस वैरिएंट को ओमिक्रान नाम दिया था। दिसम्बर, 2019 से शुरू हुई वैश्विक महामारी कोविड-19 ने अपने कई प्रारूपों (वैरिएंट) के संक्रमण से लोगों के अंदर एक डर पैदा किया है, जबकि टीकाकरण की तेज रफ्तार के कारण समय-समय पर कुछ राहत भी दिखाई दी है। “ए नोन डेविल इज़ बैटर देन अननोन एंजल” की कहावत के अनुसार कोरोना डेविल (दैत्य) का खात्मा करने के लिए लोगों ने अपने को मजबूत किया है, तथा दवा और वैक्सीन रूपी देवदूत का अवतरण भी होता दिखाई दे रहा है, जिससे रफ्तार थोडी कम तो जरूर हुई है। 01 मई, 2022 को भारत में कोविड- 19 के एक दिन में 3,688 नए मामले थे, और संक्रमण से 50 और मृत्यु दर्ज होने से मृतकों की संख्या बढकर 5,23,803 हो गई थी। जून 2022 के मध्य से कोविड के बढे मामलों को देखते हुए हर जिले में सार्वजनिक जगहों पर रैंडम टेस्ट बढाने के साथ बूस्टर डोज़ लेने तथा कोविड से जुडे नियमों का पालन करने की तैयारी हो रही है। 23 जून, 2022 के आसपास भारत में 13,313 नए मामलों के साथ सक्रिय मरीजों की संख्या बढकर 83,990 हो गई थी। 38 और लोग कालग्रसित हो गए थे। नेचर जर्नल में प्रकाशित शोधकर्ताओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने कोरोना वायरस के प्रमुख डेल्टा संस्करण की तुलना में ओमीक्रोन की संवेदनशीलता के अध्य्यन में बूस्टर खुराक को प्रभावी बताया है।
इस समय पूरे देश में 98% संक्रमण ओमिक्रान या इसके सब वेरिएंट से ही हो रहा है, जिसके पांच सब वेरिएंट में बी.ए.1 और बी.ए.2 के मामले मिले हैं। मुम्बई में बी.ए.4 और बी.ए.5 के मामले देखे गए हैं, जबकि दिल्ली में मई से 16 जून के बीच की गई जीनोम सिक्वेसिंग जांच में 5% नमूनों में बी.ए.5 के मामलों की भी पुष्टी हुई है। देश में, फिलहाल जून, 2022 मध्य से कोई नया वेरिएंट नहीं दिखाई दिया है। ओमिक्रान वायरस मनुष्य के ऊपरी श्वसन तन्त्र (रेसपिरेटरी ट्रैक) तक ही जा पाता है, जिससे सर्दी, जुकाम होता है, पर निचले श्वसन तन्त्र तक नहीं पहुंच पाता और फेफडों को प्रभावित नहीं कर पाता है। गंभीर संक्रमण ना होने से मरीज 3-5 दिनों में ठीक हो जाते हैं। कोरोना का एक और “एक्सई वेरिएंट” बी.ए.1 और बी.ए.2 से मिलकर बना है। ओमिक्रान के इस डबल म्यूटेंट वेरिएंट का पहला मामला ब्रिटेन में 19 जनवरी, 2022 को मिला था, और वहां यह तेजी से फैला था। भारत में “एक्सई वेरिएंट” का पहला मरीज महाराष्ट्र में मिला था, जो महिला 10 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत आई थी, 27 मार्च को “एक्सई” स्वरूप से संक्रमित पाई गई। “एक्सई” बीए.2 उप-स्वरूप की तुलना में 10% अधिक संक्रामक है, पर इसके तेजी से फैलने के सबूत अभी नहीं हैं, और ना ही ज्यादा शोध हुआ है। अत: इसकी अन्य वैरिएंट से तुलना कर इससे होने वाले संभावित खतरों का जबतक पता नहीं लगाया जाता, तब तक इसे ओमिक्रान के वैरिएंट के रूप में ही वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैश्विक टीकाकरण के लक्ष्य को 2022 के मध्य तक पूरा किया जाना चाहिए पर टीकाकरण के साथ-साथ कोरोना के नए-नए संस्करणों से महामारी का पटाक्षेप होता दिखाई नहीं देता। अब तक जितने भी वैरिएंट आए उसमें ओमिक्रान सबसे तेजी से फैलने वाला वैरिएंट साबित हुआ। इसके स्पाईक प्रोटीन में 30 से ज्यादा बदलाव (म्यूटेशन) मिले थे। ओमिक्रान और इससे मिलते-जुलते वैरिएंट ऑफ कंसर्न की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपने ताजा दिशानिर्देशों में यह माना है, कि अगर संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने वाला कोई व्यक्ति 90 दिन पहले दोनों खुराक ले चुका है, तो उसे टीकारहित माना जाए, क्योंकि इस अवधि के बाद टीके से मिलने वाली प्रतिरक्षा कमजोर हो सकती है। पहले यह कहा जाता था, कि 70 फीसदी आबादी को टीका लग जाने के बाद हर्डइम्यूनिटी (सख्त प्रतिरक्षा पैदा होने) से महामारी को कमजोर किया जा सकता है। नए मरीजों की संख्या जरूर बढ रही है, लेकिन मजबूत सर्विलांस और जीनोम सीक्वेसिंग जांच से खतरनाक वैरिएंट पर नजर रखना बेहद जरूरी है।
कोरोना के प्रारूप (वैरिएंट): विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का समूह जनवरी, 2020 से वैश्विक और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए वायरस में होने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तन या बदलाव जिसे “म्यूटेंट” और इस प्रक्रिया को “उत्परिवर्तन” (म्यूटेशन) कहते हैं, की निगरानी कर रहे हैं, जिससे इसके प्रसार और उत्पन्न जोखिमों का आंकलन कर इसे रोकने तथा प्राप्त संकेतों के आधार पर विश्वस्तरीय अध्ध्यन को जारी रखा जा सके। सामान्य भाषा में इसे दो समूहों में विभाजित किया गया है:- (1). हित के प्रारूप (वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट):- जो विशिष्ट अनुवांशिक मार्करो के साथ रिसेप्टर बाइंडिंग में परिवर्तन, सामुदायिक संचरण (कम्यूनिटी स्प्रैड) तथा कोविड-19 के कई प्रकार के वैरिएंट के एक साथ संक्रमित मामलों से जुडा हुआ है, तथा (2). चिंता के प्रारूप (वेरिएंट ऑफ कन्सर्न):- इसमें वायरस की जीन में परिवर्तन होने के कारण, उपचार और चिकित्सीय परीक्षण इसके खिलाफ अच्छी तरह से काम नहीं कर पाते है। यह अधिक संक्रामक या गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं, और चिकित्सा तथा टीकों की प्रभावशीलता को भी कम कर सकते हैं। एक बार कोविड से ठीक हो जाने के बाद भी लोग इस नए वैरिएंट से फिर से संक्रमित हो सकते हैं।
ओमिक्रान को चिंता वाला वेरिएंट घोषित किया गया है। 11 नवम्बर, 2021 को गौतेंग में कोरोना वायरस के डेल्टा से ज्यादा संक्रामक म्यूटेंट वर्जन ओमिक्रान (बी.1.1.529) की पुष्टि हुई, जिसके बारे में दक्षिण अफ्रीका ने 24 नवम्बर, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन को जानकारी दी थी, जो अन्य वैरिएंट से बिल्कुल भिन्न और बेहद संक्रामक था। विश्व स्वास्थ्य संगठन वेरिएंट का नाम ग्रीक वर्णमाला के शब्दों के अनुसार रखता है, अत: इस नए वैरिएंट का नाम “ओमिक्रान” रखा गया, जो ग्रीक वर्णमाला का 15 वां शब्द है। इससे पहले आने वाले दो शब्द “न्यू” और “शी” है। “शी” नाम चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नाम से समानता होने के कारण तथा “न्यू” को “नए” उच्चारण होने की वजह से पहले ही हटा दिया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैरिएंट को कोरोना के अब तक चार चिंता के प्रारूप (वेरिएंट ऑफ कनसर्न) जिसमें अल्फा (बी.1.1.7, यूके वेरिएंट), बीटा (बी.1.351, दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट), गामा (पी.1, ब्राजील वेरिएंट) और डेल्टा वैरिएंट (वंश बी.1.617.2) शामिल हैं, के साथ स्थान दिया है।
ओमिक्रान की संरचाना और संक्रमण से बचाव: ओमीक्रान में 50 से ज्यादा उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) मिल चुके हैं, जिसमें 32 म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन में ही पाए गए हैं। ओमीक्रान विश्व में 171 से ज्यादा देशों में पांव पसार चुका है। अन्य प्रारूपों की तुलना में स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा बदलाव से यह अधिक संक्रामक और टीका प्रतिरोधी है। यह वैरिएंट न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन में दो म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) (आर203के, जी204आर) के मिलने से वायरस को अधिक संक्रामक बनाता है, जबकि तीन म्यूटेशन (एच655वाई, एन679के, पी681एच) वायरस को शरीर की कोशिका में आसानी से घुसने में मदद करते हैं।
चीन की एक बडी आबादी को बडे पैमाने पर टीकाकरण के बाद भी चीन में तथा विश्व के अन्य देशों में रूक-रूक कर वायरस विस्फोट अभी जारी है। चीन में मार्च, 2022 के मध्य में वहां के कुछ प्रांतों और शंघाई प्रांत जो “ओमिक्रान” वायरस का केंद्र रहा है, में लक्षित लॉकडाउन के साथ जांच को बहुत ज्यादा बडा दिया गया था। ओमिक्रान के तीन सब-वेरिएंट बीए.1, बीए.2 और बीए.3 ज्यादा शक्ति से फैलने लगे थे। बीए.2 सब-वेरिएंट जो “ओमिक्रान” के मूल स्वरूप की जगह ले सकता है, ने पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से फैलना शुरू कर दिया और मार्च, 2022 में ही भारत सहित दुनिया के 40 देशों में दस्तक दे चुका था। ब्रिटेन में इसकी चपेट में आने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए इसे हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की जांच की श्रेणी में रक्खा गया। बी.ए.2 जिसमें 28 अनोखे उत्परिवर्तन हो सकते हैं, को “स्टेल्थ ओमिक्रान” या ओमिक्रान का भाई भी कहा जाता है। हांलाकि, इसकी उत्पत्ति और यह कितना घातक है, इसका पता लगाना अभी संभव नहीं है। कोरोना के पुन: संक्रमण में किसी खास स्वरूप को लेकर वैज्ञानिकों की राय बंटी हुई है। इंम्पीरियल कॉलेज, लंदन के वैज्ञानिकों के अनुसार “डेल्टा स्वरूप” के मुकाबले ओमिक्रान स्वरूप में पुन: संक्रमण का खतरा छ: गुना अधिक है, जबकि ओमिक्रान से पैदा हुई एण्टीबॉडी सभी स्वरूपों पर कारगर है। यह टीके के प्रभाव और वायरस के अन्य स्वरूपों को चकमा दे सकता है।
भारत में ओमीक्रान का प्रकोप: ओमीक्रान वायरस व्यापक रूप से एक जनसंख्या समूहों में घूम रहा है, और कई प्रकार से लोगों को संक्रमित कर रहा है। इससे वायरस के उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) की संभावना और बढ़ जाती है। 20 जनवरी, 2022 को सिंगापुर में ओमिक्रान से 92 वर्ष की महिला की मृत्यु का पहला मामला सामने आया जिसको टीका नहीं लगा था, जबकि उसी दिन भारत में ओमिक्रान के 9287 नए मामले सामने आए थे, जिससे भारत में तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा। भारत में क्रमश: 21-24 जनवरी, 2022 के बीच सक्रिय मामले 3.47; 3.37; 3.31% थे, जबकि यूरोप में यह प्रतिशत क्रमश: 17.94; 17.22; 17.79% था। यानि संक्रमित मरीजो में 3.06% तथा 20.75% का अंतर था। भारत में पहली बार पिछ्ले 237 दिनों में 22.01.2022 को सर्वाधिक 21,37,365 सक्रिय मरीज थे, जिसमें 3.37% सक्रिय मामलों में 3.69% मामले ओमिक्रान के थे। फरवरी, 2022 में कोविड के मामले 12,213 थे, जिसमें लगातार इजाफा देखने को मिला है, जबकि संक्रमण मुक्त होने की राष्ट्रीय दर 98.65% थी।
देश में अबतक 195.67 करोड से ज्यादा टीके (वैक्सीन) लगाए जा चुके हैं, और भारत की 89% व्यस्क आबादी को वैक्सीन की दो-दो डोज़ (खुराक) लग चुकी थी। 12-14 वर्ष के 75% से ज्यादा बच्चों को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिछ्ले पांच हफ्तों में कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु में गिरावट के बाद पिछ्ले हफ्ते मृतकों की संख्या 4% बढी पाई गई, जिसमें अमेरिका में 21%, पश्चिमी प्रशांत देशों में 17% संख्या बढी पाई गई, जबकि संक्रमणदर में दक्षिणी पूर्व एशिया और पश्चिमी एशिया में क्रमश: 33% और 58% की वृद्धि हुई है। प्रो. मणींद्र अग्रवाल, भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, कानपुर के गणितीय मॉडल के अनुसार मार्च के आखिरी तक तीसरी लहर खत्म हो सकती है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूरोपीय देशों में “ओमिक्रान” को महामारी के नए चरण में ले जाने वाला बताया तथा भविष्य में इसके और भी स्वरूप सामने आने की संभावना जताई है।
ओमीक्रान की जांच: वर्तमान में ओमीक्रान वैरिएंट के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें संक्रमण के तीन दिन बाद ही लक्षण नजर आने लगते हैं। जल्दी लक्षण आने की वजह से ओमीक्रान के मरीजों को घर पर ही लक्षणों के आधार पर ठीक किया जा सकता है। सांस लेने में तकलीफ होने पर; सामान्य कमरे में ऑक्सीजन सेचुरेशन का स्तर 94 से कम होने; छाती में लगातार दर्द और भारीपन महसूस होने पर अस्पताल में जांच और इलाज के लिए जाना चाहिए। दुनियाभर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है, कि ओमिक्रान से पीड़ित व्यक्ति की जांच में एस जीन ड्रॉप आउट का जानना जरूरी है। ज्यादातर कोरोना वायरस के वैरिएंट ने उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के बाद स्पाइक प्रोटीन (बाहरी कंटीली प्रोटीन परत) में ही बदलाव हुआ था और इसी स्पाइक प्रोटीन को कमजोर करने के लिए दुनिया भर की दवा निर्माता कंपनियों ने टीकों (वैक्सीन) का निर्माण किया है। ओमिक्रान वैरिएंट अपनी ऊपरी कंटीली परत को ही कमजोर, मजबूत या खत्म कर देता है, जिससे दवा या वैक्सीन के असर को देख पाना मुश्किल होता है। डेल्टा वैरिएंट में कीलनुमा स्पाइक प्रोटीन मौजूद थी, और इसी सबसे बडे अंतर से ओमिक्रान को कोरोना के पुराने वैरिएंट में से एक या भिन्न माना गया है।
परिक्षण के लिए ज्यादातर वैज्ञानिक प्रयोगशाला में आरटीपीसीआर (रिकम्बिनेंट पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) के द्वारा नमूनों (सैंपल) में तीन जीन्स यानी एस (स्पाइक), एन (न्यूक्लियोकैप्सिड), और ई (एनवेलप) पर फोकस करते हैं, लेकिन ओमिक्रॉन में म्यूटेशन की वजह से रूटीन जांच में एस जीन का पता नहीं चल पाता है, जिसके आधार पर ही शंका के चलते इसे ओमिक्रॉन वैरिएंट माना गया है। इससे पहले कोरोना के सभी 12 वैरिएंट्स में एस जीन का पता चल जाता था। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है, कि जरूरी नहीं है, कि सभी ओमिक्रान वायरस से एस जीन लापता हो, इसके लिए सम्पूर्ण जीनोम अनुक्रमण (सिक्वेंसिंग) से ही जांच कर इसकी पुष्टि की जाएगी या फिर आरटीपीसीआर जांच (टेस्ट) किट में थोड़े बहुत बदलाव कर परिणाम को जाना जा सकेगा। जांच के लिए किट में आरएनएज़पी (RNaseP) और बीटा एक्टिन की जरूरत होगी, और जैसे ही एस जीन लक्ष्य (टारगेट) असफलता (SGTF) का पता चलेगा, तो ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान की जा सकेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जब तक ओमिक्रान की जांच के लिए जरूरी किट का विकास नहीं हो जाता तब तक जीनोम सिक्वेंसिंग का सहारा लेना पड़ेगा, जिसमें नमूने (सैंपल) में मिले कोरोना वायरस का अनुवांशिक पदार्थ (जेनेटिक मैटेरियल) “डीएनए” या “आरएनए” की संरचना (स्ट्रक्चर) का पता चलेगा। बाद में इसके अंदरूनी हिस्सों की जांच कर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि, इस नए वैरिएंट ने कोरोना वायरस के आधारभूत संरचना (ढांचे) में म्यूटेशन के माध्यम से कहां-कहां पर बदलाव हुए हैं, या इसके स्पाइक को छेड़ा है या फिर न्यूक्लियो कैप्सिड को या एनवेलप को बिगाड़ा है। क्योंकि, यही तीन आधारभूत (बेसिक) हिस्से हैं, जहां पर कोरोना वायरस के वैरिएंट सबसे ज्यादा उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) या बदलाव दर्शाते हैं।
फ्लू से जुड़ा डाटा तैयार करने के लिए “द ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लूएंजा डाटा” (जीआइएसएआइडी) की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। दुनिया के 172 देश इसमें अपना कोरोना के जीनोम सिक्वेंसिंग से जुड़ा डाटा अपलोड कर चुके हैं, जिससे यह मालूम पडेगा, कि दुनिया के किस देश में कोरोना वायरस कौन से रूप में है, तथा कोरोना का कौन सा वैरिएंट किस वैक्सीन से जल्दी निष्क्रिय हो रहा है। जनवरी, 2020 में चीन ने पहली बार कोरोना वायरस की जीनोम अनुक्रमण (सिक्वेंसिंग) से जुड़ा डाटा इस प्लेटफॉर्म पर डाला था, जबकि ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम (3,79,510), अमेरिका ने (3,03,359) जीनोम अनुक्रमण का डेटा साझा किया है। अल सल्वाडोर जहां 68 हजार मामले थे, में 6 मामलों की जीनोम सिक्वेंसिंग हुई थी और लेबनान में पांच लाख से ज्यादा दर्ज मामलों में महज 40 जीनोम सिक्वेंसिंग हुई थी। तंजानिया ने एक भी डेटा साझा नहीं किया है। देश और संख्या अब कुछ कम-ज्यादा भी हो सकती है।
देश के 18% लोगों का कहना है, कि पिछ्ले 6 महीने के बाद उनके परिवार में एक या एक से ज्यादा लोगों को दोबारा कोरोना हुआ है। बीते 6 महीनों में जिन्हें ओमिक्रान वैरिएंट ने फिर से जकडा था उनमें से 46% को पहले से ज्यादा गंभीर संक्रमण देखा गया। एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बडी संख्या में लोगों का संक्रमण पहले से ज्यादा गंभीर रहा है। कई अन्य अध्य्यनों के अनुसार कोरोना का दोबारा होना लम्बी (लॉन्ग) कोविड जैसी समस्याओं को बढाता है। ओमिक्रान संक्रमण से फेफडों पर असर नहीं पडता और ऑक्सीजन की जरूरत भी नहीं दिखाई देती है, लेकिन लापरवाही से बचना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक बडों में अधिकतर गला खराब, शरीर दर्द, सूखी खांसी, आंख और सिर में दर्द तथा बच्चों में लूज़ मोशन और उल्टी के साथ बुखार कोविड के लक्षण हो सकते हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में जून, 2022 में संक्रमण दर 7-10% के बीच थी, जबकि 21 अप्रैल से 18 वर्ष से ऊपर सभी लोगों के लिए बूस्टर डोज़ को निशुल्क किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है, कि वायरस संक्रमण समुदाय में फैलने के बाद आसानी से खत्म नहीं होता, और छोटी-बडी लहर जिसे स्पाइक कहते हैं, आती रहती है, हांलाकि कोरोना की अभी कोई लहर दिखाई नहीं देती है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रिकाशन डोज़ का फायदा है, नुकसान नहीं अत: तीसरी खुराक जरूर लेनी चाहिए। इस समय देश में कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पूतनिक और कॉर्बोवैक्स टीकों का इस्तेमाल हो रहा है। कोविशील्ड और कोवैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके लोगों में कॉर्बोवैक्स को बूस्टर खुराक के रूप में इस्तेमाल के लिए फैसला होना था। इस समय देश में किशोरों का कोविड टीकाकरण तेजी से हो रहा है, जबकि तमाम कम्पनियां छोटे बच्चों के लिए भी टीके के आकस्मिक इस्तेमाल (इमरजेंसी यूस) की मांग कर रहे हैं। एक लोकल सर्वे में 41% भारतीय माता-पिता 6-12 वर्ष तक के बच्चों को टीका नहीं लगवाना चाहते हैं, जबकि 92% यह चाहते हैं, कि सरकार छोटे बच्चों में टीके के नुकसान (साइड इफैक्ट्स) को लेकर ट्रैकिंग सिस्टम बनाए, जहां एसएमएस के जरिए माता-पिता से बच्चों का फीडबैक लिया जा सके।
पिछ्ले दो वर्षों से अधिक समय में हम सभी ने यह महसूस किया है, कि विषाणु (वायरस) से बचाव और प्रतिबंधो के चलते शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। 23 जून, 2022 को वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में ब्रिक्स देशों के 14 वें शिखर सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर महामारी के प्रकोप को पहले की तुलना में कम, लेकिन इसके अनेक दुष्प्रभाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होना बताया। 27 जून, 2022 को जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में भी कोविड महामारी में भारत की लडाई का जिक्र करते हुए योग से कोरोना संकट को दूर करने के अच्छे परिणामों के संकेत दिए। अगर विश्व में कोविड का संकट ना होता, तो संभवत: भारतीय अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन के लक्ष्य को हासिल कर सकती थी। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के चलते बढती चुनौतियों से अमेरिका, यूरोप सहित दुनिया भर के देशों में महंगाई का दबाव है, तथा भारत में हुए नुकसान को ठीक करने में कम से कम 15 वर्षों का समय लग सकता है। दूसरी तरफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने कोविड-19 टीकों के लिए अस्थाई पेटेंट छूट पर सहमति बनी है, जिससे कोई भी देश मूल निर्माता से सहमति लिए बगैर टीके के उत्पादन के लिए किसी घरेलू उत्पादक (मैन्यूफैक्चरर) को अनिवार्य लाइसेंस जारी कर सकेगा। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व सीईओ और समाजसेवी बिल गेट्स की किताब “हाउ टू प्रिवेंट द नेक्स्ट पेंडमिक” (अगली महामारी को कैसे रोकें) पर चर्चा के दौरान बिल गेट्स ने और बुरे वैरिएंट के खतरे को कम बताया है, और बुजुर्गों को बूस्टर खुराक पर ध्यान देने पर जोर दिया है। भारत के विषय में शानदार काम का जिक्र करते हुए टीकाकरण की पहुंच को अमेरिका से बेहतर बताया और मृत्यु के आंकडे भी अमीर देशों से कम होने का जिक्र किया है। अत: भारत की प्रक्रिया को 7 या 8 की रेटिंग से नवाज़ा गया। अत: आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से हम ओमिक्रान और आने वाले अन्य वैरिएंट से अपनी तैयारी के चलते एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाते हुए किसी भी आहट और घबराहट का अनुमान आसानी से लगा पाऐंगें।