पृष्ठभूमि:
कोरोना महामारी की इस वर्तमान स्थिति में, वैज्ञानिकों द्वारा सामाजिक दूरी को बनाए रखने तथा मास्क पहनने के लिए बार-बार अनुरोध किया जा रहा है। चिकित्सा क्षेत्र के विशिष्ट अग्रणी संगठन जैसे कि रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) अटलांटा, संयुक्त राज्य अमेरिका, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) सहित दुनिया के प्रमुख संगठन मानव समुदाय के बीच इस विषाणु के प्रसार के जोखिम को कम करने और मानवता के इस शक्तिशाली दुश्मन के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रयासरत और पूर्णतयाः समर्पित हैं। कोविड विषाणु जनित इस महामारी को रोकने में मास्क की अहम् भूमिका है इसलिए; मास्क के प्रभावशाली और उचित उपयोग के लिये सही वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी, मास्क के पुन: उपयोग के लिए उसकी स्वच्छता, विसंक्रमण, सही रखरखाव एवं निस्तारण की जानकारी बहुत ही आवश्यक है।
विषाणुओं का अध्ययन सूक्ष्मजीव-विज्ञान का विषय है और उन्हें समझने के लिए सूक्ष्मजीवविज्ञान का आधारभूत ज्ञान अति आवश्यक है। अगर संक्षेप में कहें तो कोरोना विषाणु एक आर. एन. ए. (RNA) वायरस है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है/ इसके अलावा इसकी बाहरी लिपिड परत और स्पाइक प्रोटीन इसकी संरचना के मुख्या अवयव होते हैं। यह खांसने, छींकने और इस विषाणु से संक्रमित व्यक्ति से बात करने के दौरान उत्पन्न छोटी बूंदों से फैलता है/ संक्रमित व्यक्ति कोरोना के लक्षण या बिना लक्षण वाला हो सकता है परन्तु कोरोना के संक्रमण का खतरा दोनों से एक जैसा होता है/
यह विषाणु दूषित सतह जैसे दरवाजे के हैंडल, मेज, पेन आदि को छूकर और फिर हाथों को धोए बिना मुंह और नाक को छूने से भी फैलता है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के अध्ययन से प्राप्त विवरण से पता चला है कि COVID-19 का कारक कोरोना विषाणु का आकार 50-140 नैनोमीटर (nm) तक होता है जबकि संक्रमित व्यक्ति से उत्पन्न श्वसन-बूंदों (respiratorydroplets) का आकार 5-10 माइक्रोमीटर (uM) तक हो सकता है। इस प्रकार, एक अकेले सूक्ष्म श्वसन बूंद में जो कि एरोसोल के रूप में हवा में उपस्थित होती है, सैकड़ों हजार विषाणु कण हो सकते हैं। अनुसन्धान में यह भी पाया गया है कि खांसने, छींकने और बात करने के दौरान उत्पन्न सूक्ष्म बूंदे हवा में 8 फीट तक फैल सकती हैं, तथा इस के दायरे में उपस्थित व्यक्ति को संक्रमित कर सकती हैं। मास्क का उचित उपयोग, उपर्युक्त गतिविधियों के दौरान उत्पन्न सूक्ष्म बूंदों का फैलाव 8-फीट से घटाकर 2.5 इंच तक कर देता है/ अतः मास्क का सही उपयोग वायुमंडल में संक्रमण, एयरोसोल का बनना, ठोस सतह के संदूषण और विषाणु के संचरण के जोखिम को काफी हद तक कम करता है। एक बात हमेशा याद रखें कि एक विषाणु हमेशा जीवित कोशिकाओं के अंदर ही अपनी संख्या में वृद्धि करता है और हमे तब तक कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता जब तक कि वह शरीर में प्रवेश नहीं करता/ शरीर के बाहर यह सिर्फ एक मृत धूल कण की तरह व्यवहार करता है। इसलिए, विषाणु संक्रमण को रोकने के लिए शरीर के अंदर इसके प्रवेश को रोकना अति आवश्यक है। कोरोना वायरस की बाहरी लिपिड परत को 70-80% इथेनॉल/आइसोप्रोपेनॉल, साबुन और पानी, ब्लीच या डिटर्जेंट से आसानी के साथ तोड़ा जा सकता है / यही कारण है कि साबुन और पानी से 20-30 सेकंड तक हाथ धोने या 70 – 80% इथेनॉल या आइसोप्रोपेनॉल युक्त सैनिटाइज़र के प्रयोग करने कि सलाह दी जाती है। विषाणुओं के प्रसार को रोकने के लिये सूक्छम छिद्र वाले मास्क एवं फ़िल्टर काफी प्रभावी साबित हुए हैं क्योंकि मास्क के छोटे आकार के छिद्र हवा में पाए जाने वाले विषाणुओं को श्वास वायु से पृथक करने में सक्षम होते हैं। मास्क में कपड़े या या दूसरी मास्क बनाने वाली सामग्री की परत को बढ़ाने से मास्क कि फ़िल्टर करने की क्षमता को और बेहतर किया जा सकता है जिससे हमें बेहतर सुरक्षा मिलती है। टिस्सू पेपर की मुड़ी हुई २-३ परत भी एक अच्छे फ़िल्टर की तरह कार्य करती है तथा इसका उपयोग कपड़ें के मास्क में पाकेट बनाकर करने पर कपड़ें के मास्क की फ़िल्टर करने की छमता कई गुना बढ़ जाती है और यह एन-९५ मास्क की तरह विषाणुओं को रोकने में सक्षम होता है/ अब हम मास्क के प्रकार और उनकी सुरक्षा दक्षता पर चर्चा करते हैं
मास्क के प्रकार (type of Mask): विभिन्न स्रोतों से एकत्रित आंकड़ों के अनुसार 8 प्रकार के मास्क का वर्णन उपलब्ध है।
बंदना प्रकार (Bandana Type): इस तरह के मास्क में मुंह और नाक को ढकने के लिए रूमाल की तरह कपड़े की सिर्फ 2-3 परतें होती हैं। फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार यह केवल मामूली स्तर की ही सुरक्षा प्रदान करता है तथा छींक या खांसी के दौरान उत्पन्न होने वाली मइक्रोड्रोप्लेट्स या सूक्छम बूंदों के फैलाव को घटाकर 8 फीट से 4 फीट तक कर देता है।
कपड़ा मास्क (Cloth Mask): इस तरह का मास्क विभिन्न प्रकार के कपड़ों से बनाया जा सकता है और मास्क की तैयारी में उपयोग किए जाने वाले कपड़ों की गुणवत्ता और उपलब्ध परत के आधार पर यह 1-35% तक सुरक्षा प्रदान करता है। कसकर बुने हुए, अच्छी गुणवत्ता वाले 100% सूती कपड़े
का मास्क गुणवत्ता की दृस्टि से सबसे अच्छे माने जाते हैं। यह पाया गया है कि कम गुणवत्ता वाले कपडे से बना मास्क केवल 10-20% सुरक्षा देता है, विशिष्ट गुणवत्ता वाले कपड़े से बना मास्क 50% सुरक्षा देते है जबकि अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़े से बना 2-3 परतों वाला मास्क 80-90% सुरक्षा प्रदान करते हैं। दो से तीन परतों वाला मास्क सबसे अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है तथा छींक या खांसी के दौरान उत्पन्न होने वाली मइक्रोड्रोप्लेट्स या सूक्छम बूंदों के प्रसार को ८ फ़ीट से घटाकर २.५ इंच तक कर देता है / इससे विषाणु का अन्य लोगों में संक्रमण एवं प्रसार का जोखिम काफी कम हो जाता है। कपड़े से बने मास्क की दक्षता बढ़ाने के लिए मास्क में टिश्यू पेपर के फोल्ड को फिट करने के लिए एक पॉकेट बनाया जा सकता है। टिश्यू पेपर एक फिल्टर के रूप में काम करता है और मास्क की सुरक्षा दक्षता को 35-70% बढ़ाकर इसे एन 95 मास्क के बराबर बना देता है । मजे की बात यह है कि टिश्यू पेपर के फोल्ड को प्रतिदिन बदला जा सकता है और इसकी कीमत भी काफी कम आती है/
वैंट मास्क (Vent Mask): इस तरह का मास्क वेंटिलेशन उद्देश्यों के लिए एक वाल्व से सुसज्जित
होता है, लेकिन यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से अच्छा नहीं समझा जाता है। हालांकि यह पहनने वाले व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करता है पर दुसरे मास्क कि तरह उत्पन्न सूक्ष्म बूंदों को बाहर आकर पर्यावरण को दूषित करने से नहीं रोक पाता
सर्जिकल मास्क (Surgical Mask): इसे मेडिकल फेस मास्क या प्रक्रिया मास्क के रूप में भी जाना जाता है और इसे बनाने के लिए गैर-बुने हुए कपड़े का उपयोग किया जाता है। एयरोसोल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार सर्जिकल मास्क केवल 60% सुरक्षा प्रदान करता है, और एक ही बार उपयोग किया जा सकता है।
शंकु शैली मास्क (Cone Type): इस प्रकार के मास्क बाजार में काफी प्रचलित एवं उपलबध हैं / इसमें मास्क को नाक पर सपोर्ट देने के लिए मेटल कि एक पतली पट्टी का उपयोग किया जाता है। एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शंकु प्रकार के मास्क, बंदना प्रकार के मास्क से अधिक प्रभावी हैं, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाले और 2-3 परतों वाले सूती कपड़े के मास्क से कम प्रभावी समझे जाते हैं।
N95 और K95 मास्क: एन-९५ मास्क कृत्रिम प्लास्टिक के रेशों या फाइबर (सामान्यतः पोलीप्रोपलीन) के बनाये जाते हैं तथा स्थैतिक इलेक्ट्रिक चार्ज से युक्त होते हैं/ इस श्रेणी के मास्क का नाम ही इसके द्वारा प्रदान सुरक्षा के स्तर को दर्शाता है। N95 मास्क अच्छे माने जाते हैं और विषाणु एवं धूल के कणों से 95% सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस श्रेणी में कुछ और नाम भी हैं जैसे पी 95, पी 99 और पी 100 है जो क्रमशः 95, 99 और 99.7% सुरक्षा प्रदान करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक सर्वेक्षण एवं तुलनातमक अध्ययन के दौरान, यह पाया गया कि कंपनियों के विभिन्न निर्माण मानकों के कारण गुणवत्ता की दृस्टि से K95 मास्क N95 मास्क की तुलना में अच्छे नहीं थे/ यदयपि N95 मास्क महंगा होता है लेकिन इसकी उत्तम गुणवत्ता के कारण चिकित्सा क्षेत्र में रोगियों और अस्पतालों के साथ काम करने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं जैसे की डॉक्टर्स ,नर्स, पुलिस,मीडियकर्मी आदि के लिए काफी अच्छा विकलप है तथा इसके उपयोग से संक्रमण के स्तर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है ।
मास्क के उपयोग की उचित विधि एवं सावधानियां( Right method and Precaution for use of Mask):
मास्क COVID के खिलाफ लड़ाई में सबसे अच्छा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE) में से एक है/ अतः इसके सही उपयोग का ज्ञान होना अति आवश्य्क है/ इसके सही जानकारी के आभाव में यह संदूषण और संक्रमण फ़ैलाने का जोखिम भी पैदा कर सकता है। इसलिए, इसके उपयोग के उचित तरीके, रखरखाव, विसंक्रमण, पुन: उपयोग एवं उपयोग किये गए मास्क का सही निस्तारण का ज्ञान होना परम आवश्यक है/
मास्क के उपयोग से पहले निम्नलिखित बिंदु का ध्यान रखा जाना चाहिए।
1.मास्क को पहनने एवं उतारने से पहले और उतार कर उचित स्थान पर रखने के बाद, हाथ को २०-३० सेकंड तक साबुन और पानी या ७०-८०% अल्कोहल मिश्रित सैनिटाइजर से साफ करना आवश्यक है।
2. मास्क से मुँह, नाक और ठोड़ी अच्छी तरह से ढके होने चाहिए । मास्क से केवल मुंह को ढकने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि विषाणु नाक के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है/
3. याद रखें कि उपयोग के दौरान विषाणु, तथा अन्य सूक्ष्मजीव, सूक्ष्म बूंदें (microdroplets), सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर और धूल के कण मास्क की बाहरी सतह पर जमा हो जाते हैं/ अगर उपयोग के बाद मास्क को सही से विसंक्रमित एवं निस्तारित न किया जाये तो यह यह संदूषण का संभावित स्रोत बन जाता है। इसलिये उपयोग के तुरंत बाद इसे एक जिपलॉक या पॉलीथिन बैग में अलग रखें तथा पुन: उपयोग के लिए इसे सैनिटाइज करें या उचित मानदंडों का पालन करके इसे त्याग दें और फिर से अपना हाथ धो लें।
4. इसे खुले या कूड़ेदान में ऐसे ही न फेंके। पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए और कचरा उठाने वाले गरीब मजदूर की सुरक्षा के लिये इसे फेंकने से पहले 5-10 मिनट के लिए उबाल लें।
5. वाल्व वाले मास्क के उपयोग से बचने की कोशिश करें।
6. डबल मास्क का उपयोग करना एक अच्छी रणनीति है और यह बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है
7. अपने स्वयं के परिवार के सदस्यों के साथ या किसी और के साथ मास्क की अदला-बदली न करें
मास्क के विसंक्रमण एवं पुनः उपयोग की विधि (Method of sanitaization and reuse of Mask) :
मरीज और संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किया हुआ दूषित मास्क उचित मानदंडों का पालन करते हुए निस्तारित किया जाना चाहिए। लेकिन अवांछित कचरे के बोझ को कम करने, समुदाय में सभी को इसकी उचित आपूर्ति सुनिश्चित करने, और उपयोग की लागत को कम करने के दृश्टिकोण से लिए गैर-संक्रमित व्यक्ति के द्वारा उपयोग किया हुआ मास्क सही विसंक्रमण के बाद पुन: उपयोग किया जा सकता है।
1. कपड़े के मास्क को धोया जा सकता है, सूखने और इस्त्री करने के बाद इसे पुन: उपयोग किया जा सकता है। धोने के दौरान 60-70 C गर्म पानी और डिटर्जेंट का उपयोग करना बेहतर होता है यह विषाणु की बाहरी लिपिड परत को तोड़ देगा और वायरस के कणों को विघटित कर देगा।
2. एक बार में मास्क को लगातार 8 घंटे से ज्यादा इस्तेमाल न करें/
3. मास्क को सुखाने वाले ओवन में 30 मिनट के लिए 70 C पर सुखाना भी विसंक्रमण की एक अच्छी विधि है। 4 से 5 मिनट के लिए पानी में उबालना भी विसंक्रमण का प्रभावी तरीका है/
5. पराबैंगनी किरणों और माइक्रोवेव को मास्क के विसंक्रमण लिए प्रभावी नहीं पाया जाता है।
6. नमी युक्त कई घंटे तक लगातार उपयोग किये हुए मास्क का प्रयोग करने से बंचे
वायरस के विभिन्न सतहों पर जीवित रहने के आंकड़ों के आधार पर पाया गया है कि यह कपड़े पर 48-72 घंटे तक जीवित रह सकता है। अतः उपयोग किये हुए मास्क को ३-४ दिन के लिए सूखने के बाद इसमें उपस्थित विषाणु मर जाते हैं और वह पुनः उपयोग के लिए तैयार हो जाता है/ हप्ते के हर दिन के लिए एक नया मास्क उपयोग करें और उपयोग के बाद उसे अलग-अलग पोलीएथीलीन बैग में रखते जाएँ और ५-६ दिन बाद उसे फिर से उपयोग करें/ उपयोग किये गए मास्क को अन्य तरीकों से भी विसंक्रमित करके उपयोग किया जा सकता है। कपड़े के मास्क को 10-बार से अधिक न धोएं। पहनने और रखरखाव के साथ पुराने मास्क को नए मास्क के साथ बदलते रहें। N95 प्रकार के मास्क को पानी में उबालने एवं धोने से मना किया जाता है क्योंकि उनके ऊपर उपस्थित एलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज चले जाते है एवं उनकी क्षमता प्रभावित होती है
निष्कर्ष (Conclusion): भीड़ वाले शहरों की तुलना में गावों का कम जनसंख्या घनत्व और कम एयरोसोल निर्माण की तीव्रता को देखते हुए मै यहाँ पर 2-3 परतों तथा अच्छी गुणवत्ता वाले सूती मास्क का उपयोग सुरक्षा कि दृस्टि से उपयुक्त समझता हूँ तथा इसके उपयोग की अनुशंसा एवं सिफारिश करता हूँ/ लागत, उपलब्धता, आसानी से बनाये जाने, सरल विसंक्रमण विधि, एवं प्रदान सुरक्षा को देखते हुए कपडे से बना मास्क भारतीय गावों के लिए एक अच्छा विक्लप है/ मुंबई, दिल्ली, पुणे आदि जैसे मेट्रो शहरों के जनसंख्या घनत्व और एयरोसोल निर्माण की तीव्रता को ध्यान में रखते हुए, थैली युक्त कपडे का मास्क (जिसमे २-३ फोल्ड करके टिश्यू पेपर का फ़िल्टर लगाया जा सके) का उपयोग करना, N95 प्रकार के मास्क एक बेहतर विकल्प है। मास्क में टिश्यू पेपर का फ़िल्टर रोज बदला जा सकता है और उसकी रोज की कीमत भी २५ पैसे से कम ही होगी/ अपने खुद के अवलोकन के आधार पर मने पाया है की सर्जिकल मास्क को हलके डिटर्जेंट के साथ ५-१० मिनट तक उबालने एवं सुखाने के बाद भी इसकी बहरी संरचना में बहुत बदलाव नहीं होता है. हालाँकि मास्क उबालने के बाद इसकी सुरक्षात्मक दक्षता में आने वाली कमी के बारे में बहुत निश्चित नहीं हूं, क्योंकि यह रिसर्च का विषय है/ उबालने एवं सुखाने के बाद इसे मुख्य मास्क के ऊपर उपयोग किया जा सकता है जो कि मुख्य मास्क पर धूल और सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर के संचय को रोकने और गलती से मुख्य मास्क के स्पर्श एवं संक्रमण से बचा सकेगा/ यह मेरा निजी विचार है और इस पर अभी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है/ सर्जिकल मास्क को एक बार ही उपयोग करने कि सलाह दी जाती है / मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि हम चलते, बात करते, छींकते और खांसते समय मास्क पहनने की कड़ाई का पालन करते हैं तो हम बहुत जल्द कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीतने में सक्षम होंगे। अब मास्क का उपयोग हमारे डी एन ए (DNA) का एक हिस्सा होना चाहिए, कृपया इसका उपयोग करने में संकोच न करें और बिना किसी हिचकिचाहट के उपयोग करने के लिए दूसरों को भी प्रोत्साहित करे। मास्क कोरोना लड़ाई लड़ने और जीतने के लिए एक बहुत प्रभावी हथियार है। कृपया बिना मास्क के दूसरों के साथ बात करने से बचें क्योंकि बिना लक्षण वाला संक्रमित व्यक्ति रोगसूचक रोगियों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं। हमें NO TALK WITHOUT MASK वाले नारे का सख्ती से पालन करना चाहिए।