वर्तमान समय में कोरोना विषाणु ने सम्पूर्ण विश्व में महामारी का रूप ले रखा है। कोरोना वायरसए निडोविरलेस ऑर्डर ;छपकवअपतंसमे वतकमतद्ध से संबंधित निडोवायरस परिवार का सदस्य हैए जिसमें कोरोनवीराइडे ;ब्वतवदंअपतपकंमद्धए आर्टेरिविरिडे ;।तजमतपअपतपकंमद्ध और रोनिविरिडे ;त्वदपअपतपकंमद्ध परिवार शामिल हैं। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में देखने पर यह वायरस एक मुकुट जैसी संरचना दिखता हैए जिस कारण इसको कोरोना नाम दिया गया है ;लैटिन में ष्कोरोनाष् का अर्थ है ष्हेलोष् या ष्क्राउनष्द्ध। क्योंकि मानव में इस वायरस का इतना भयावह संक्रमण पहली बार पाया गया हैए इस कारण विश्व स्वस्थ संगठन ;ॅभ्व्द्ध ने इस बीमारी को नॉवेल कोरोना वायरस इन्फेक्टेड डिजीज 2019 ;ब्व्टप्क् .19द्ध नाम दिया है। नॉवेल कोरोना वायरस के पहले मामले की पहचान चीन के वुहानए हूबेई प्रांत में हुई थी। वुहान वायरस प्रकृति र्में ववदवजपब हैं जिसका अर्थ है कि यह केवल जन्तुओ से मानव में संक्रमण करता है। नावेल कोरोना वायरस बीटा कोविड वंश से संबंधित हैं और इसका जीनोम 32 किलोबेस लंबे एकल आरएनए से निर्मित है जो आपनी मौलिक जीनोमिक संरचना में समय और आवश्यकता के अनुसार उच्च कोटि के परिवर्तन कर सकता है।
कोरोना वायरस मुख्य रूप से श्वसन तंत्र की गंभीर बिमारीयों जैसे डपककसम म्ंेज त्मेचपतंजवतल ैलदकतवउम ;डम्त्ै.ब्वटद्ध या फिर ैमअमतम ।बनजम त्मेचपतंजवतल ैलदकतवउम ;ै।त्ै.ब्वटद्ध लेकर सामान्य सर्दीए इत्यादि से सम्बन्धित है। इस वायरस का संक्रमण मानव में बिलकुल इन्फ्लूएन्जा वायरस या साधारण सर्दी जुकाम बुखार की तरह ही फैलता है। इसका संक्रमण साइनस ;फ्रंटलए मैक्सिलरीए स्फेनॉइड और एथमॉइडद्ध से शुरू होकर ऊपरी श्वसन पथ को प्रभावित करता है और स्वर यन्त्र पर समाप्त होता है। अभी तक किये गये शोध बताते है कि वर्तमान में वातावरण में चार प्रकार के कोविड पाए गये हैए प्रकृति के आधार पर इन्हें अल्फाए बीटाए डेल्टा और गामा में विभाजित कर सकते है जिसमें केवल अल्फा और बीटा कोविड मानव सभ्यता को संक्रमित करते हैं। कोरोना का संक्रमण मुख्य रूप से खासनेए छीकने के दौरान मुंह या नाक से निकलते वाले ड्रापलेट्स या म्यूकस के कारण होता हैए जब भी कोई स्वस्थ व्यक्ति इन ड्रापलेट्स या म्यूकस कणों के संपर्क में आता है तो ड्रापलेट्स में छिपे वायरस शरीर में प्रवेश कर जाते है। कोविड.19 से संक्रमित लोगों में ये बात सामने आई है की अपने शुरूआती दौर में इसके लक्षण संक्रमण के लगभग 10.15 दिनों में दिखाई देते है। जिस वजह से संक्रमित व्यक्ति को पता भी नही चल पता और वह अपने आस पास के लोगो को भी बीमारी की चपेट में ले आता हैए इसके अलावा कई रोगियों में तो कोई लक्षण दिखाई ही नही देतेए संक्रमण के उपरान्त तेज़ बुखारए सूखी खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत पैदा होने लगती हैए फेफड़े एवं श्वास नली में सूजन होने लग जाती और सांस अवरुद्ध होने के कारण मृत्यु तक हो जाती है ।
अब तक इस वायरस का कोई टीका इजाद नही हुआ है जो इसकी तीव्रता या मारक क्षमता को रोक या कम कर सके। फिर भी वर्तमान समय में यदि कोई आपको इसके संक्रमण से बचा सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ स्वयं मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति ही है। यदि शरीर की रोग प्रतिरोधकता अच्छी है तो सामान्य फ्लू की तरह इसका संक्रमण भी 14. 21 दिन में सही होने की सम्भावना रहती है। प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं और रासायनिक यौगिकों का एक जटिल नेटवर्क है जो संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा करने में मदद करता है। हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को सामान्य रूप से काम करने के लिए विभिन्न पोषक तत्व शामिल हैं ताकि हम संक्रमणों से निपट सकें। हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र में दो प्रकार की प्रतिक्रिया होती हैरू सहज और अनुकूली जो रोग पैदा करने वाले घुसपैठियों के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक बाधाएं अथवा सुरक्षा आवरण बनती हैं। वेक्सीन मुख्य रूप से वायरस के जीनोम में बदलाव करके सुरक्षित रूप से शरीर की अनुकूली प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का कार्य करती है ताकि कई प्रकार की बीमारियों को दूर किया जा सके।
References:
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