Kahaar
    What's Hot

    मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड: किसानों के लिए योजना

    March 2, 2025

    Cosmic farming as an alternative for better crop health

    February 18, 2025

    लखनऊ की दस नदियां जो जुडी थी बड़ी झीलों से

    November 14, 2024
    Facebook Twitter Instagram
    Thursday, May 15
    Trending
    • मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड: किसानों के लिए योजना
    • Cosmic farming as an alternative for better crop health
    • लखनऊ की दस नदियां जो जुडी थी बड़ी झीलों से
    • High Pressure Processing in the Food Industry: A Revolutionary Approach to Food Preservation and Quality Enhancement
    • पुनर्जीवित सैरनी दुनिया को शांति की सीख देती है।
    • Environmental and Health Impacts of Uranium Mining in Jadugoda, Jharkhand
    • Sustainable Solutions for Global Land Degradation: Natural Farming Perspectives
    • Soil Pollution from Mining Activities: Impact on Living Organisms
    • Print Edition
    • Get In Touch
    • About Us
    Facebook Twitter Instagram
    KahaarKahaar
    Subscribe
    • Home
    Kahaar
    Home»Agriculture»जैव उर्वरक की कृषि में उपयोगिता
    Agriculture

    जैव उर्वरक की कृषि में उपयोगिता

    आर एस सेंगर, कृशानु, आकांशा सिंह, कुशाग्र यादव एवं शालिनी गुप्ता सरदार वल्लभभाई कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्विद्यालय मेरठ २५०११०
    Share
    Facebook Twitter Reddit Pinterest Email

    मिट्टी में लगातार रसायनों के छिड़काव एवं रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती मांग ने पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी घटाया हैद्य इन रसायनों के प्रभाव से मिट्टी को उर्वरकता प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या में अत्यधिक कमी हो गयी हैद्य जैसे कि, हवा से नाइट्रोजन खींचकर जमीन में स्थिरीकरण करनेवाले जीवाणु राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एजोस्पाइरलम, फास्फेट व पोटाश घोलनशील जीवाणु आदिद्य इसलिए मिट्टी में इन जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने हेतु इनके कल्चर का उपयोग जैविक खादों के साथ मिलाकर किया जाता हैद्य किसी विशिष्ट उपयोगी जीवाणुध्कवकध्फुन्फंदध् को उचित माध्यम में (जो कि साधरणतः ग्रेनाइट या लिग्नाइट का चुरा होता है) ये जीवाणु 6 माह से एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैंद्य सामान्यतः अधिक गर्मी (40 से ऊपर) में ये जीवाणु मर जाते हैंद्य जीवाणु कल्चर का भंडारण सावधानी पूर्वक शुष्क एवं ठंडी जगह पर करना चाहिएद्य
    जैव उर्वरक या बायो फर्टिलाइजर को जीवाणु खाद भी कहते हैं। बायो फर्टिलाइजर एक जीवित उर्वरक है, जिसमें सूक्ष्मजीव विद्यमान होते हैं इन्हें फसलों में इस्तेमाल करने से वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन, पौधों को अमोनिया के रूप में आसनी से उपलब्ध हो जाती हैं। मृदा में पहले से उपस्थित अघुलनषील फाॅस्फोरस व पोषक तत्व घुलनषील अवस्था में परिवर्तित होकर पौधों या फसल को आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। ये जीवाणु प्राकृतिक हैं। इसलिए इनके प्रयोग से मृदा की उर्वराषक्ति बढ़ती है और जीवों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। बायो फर्टिलाइजर रासायनिक उर्वरकों के पूरक हैं, विकल्प नही है।
    रासायनिक खाद के लगातार और असंतुलित प्रयोग से हमारी कृषि भूमि और वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। मृदा में जीवांष की मात्रा घटने से उसकी उपजाऊ षक्ति लगातार घटती जाती है। हमारे जलाषयों और जमीन का पानी दूषित होता है। बायो फर्टिलाइजर से काफी हद तक इसको नियंत्रित किया जा सकता है।
    पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने तथा रासायनिक खादों के प्रभाव को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रकृति प्रदत्त जीवाणुओं को पहचान कर उनसे विभित्र प्रकार के पर्यावरण हितैषी जैव उर्वरक तैयार किए हैं।

    जैव उर्वरकों के प्रयोग में सावधानियां
    • जैव उर्वरक खरीदते समय उर्वरक का नाम, प्रयोग होने वाली फसल और अंतिम तारीख अवष्य जांचे।
    • बायो फर्टिलाइजर को हमेषा छायादार स्थान पर ही रखें।
    • जैव उर्वरक को तारीख समाप्ति के बाद बिलकुल भी प्रयोग नहीं करें।
    • फसल के अनुसार ही जैव उर्वरक का चयन करें, नही तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
    • फसल और कम्पनी के मापदंडो के अनुसार खाद का प्रयोग उचित मात्रा में करें।

    जैव उर्वरक के लाभ
    • जैव उर्वरक जमीन की उर्वराषक्ति के बढ़ता है।
    • इनके प्रयोग से अंकुरण जल्दी होता है। पौधे की टहनियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है या फुटाव ज्यादा होता है। इससे रासायनिक खादों के, विषेष रूप से नाइट्रोजन और फाॅस्फोरस, लगभग 15 से 25 प्रतिषत हिस्से की आपूर्ति होती है।
    • रासायनिक खाद में निर्भरता कम होने से लागत मेें कमी आती है।
    • मृदा में कार्बनिक पदार्थ ह्यूमस में वृद्धि, मृदा की भौतिक और रासायनिक स्थिति में सुधार होता है।
    • इनके प्रयोग से फसलों में 10 से 15 प्रतिषत उत्पादन में वृद्धि होती है।
    • जैव उर्वरक से तिलहन फसलों के तेल में वृद्धि भी होती हैं।
    • मृदा की क्षारीय स्थिति में भी सुधार देखने को मिलता है।?
    जैवउर्वरक के प्रयोग से लहराती  टमाटर की फसल
    जैवउर्वरक के प्रयोग से लहराती टमाटर की फसल
    जैवउर्वरक के प्रयोग से लहराती पत्तागोभी की फसल
    जैवउर्वरक के प्रयोग से लहराती चना की फसल
    जैवउर्वरक के प्रयोग से लहराती सरसो की फसल
    जैव उर्वरक के प्रकार:-

    राइजोबियम-
    राइजोबियम, जैव उर्वरक मुख्य रूप से सभी तिलहनी और दलहनी फसलों में सहजीवी के रूप रहकर पौधों को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। राइजोबियम को बीजों के साथ मिश्रित करने के बाद बुआई करने पर जीवाणु जड़ो में प्रवेष करके छोटी-छोटी गांठे बना लेते हैं। इन गांठों में जीवाणु बहुत अधिक मात्रा में रहते हुए, प्राकृतिक नाइट्रोजन को वायुमण्डल से ग्रहण करके पोषक तत्वों में परिवर्तित करके पौधों को उपलब्ध करवाते हैं। पौधों की जितनी अधिक गांठे होती हैं, पौधा उतना ही स्वस्थ होता है। इसका उपयोग दलहनी और तिलहनी फसलों जैसे चना, मंूग, उड़द, अरहर, मटर, सोयाबीन, सेम, मसूर, और मंूगफली आदि में किया जाता है।

    एजोटोबैक्टर-
    एजोटोबैक्टर, मृदा और जड़ो की सतह में मुक्त रूप से रहते हुए वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पोषक तत्वों में परिवर्तित करके पौधों को उपलब्ध करवाता है। एजोटोबैक्टर सभी गैर दलहनी फसलों में प्रयोग होता हैं।

    एजोस्पिरिलम-
    बैक्टीरिया और नीलहरित षैवाल जैसे कुछ सुक्ष्मजीवों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करने और फसली पौधों को इस पोषक तत्व को उपलब्ध करवाने की क्षमता होती है। यह खाद मक्का, जौ, जई और ज्वार चारा वाली फसलों के लिए बहुत उपयोगी होती है। इसके प्रयोग से फसल उत्पादन में 5 से 20 प्रतिषत तक वृद्धि होती है। बाजरा की 30 और चारा वाली फसलों की उत्पादन क्षमता 50 प्रतिषत तक बढ़ सकती है।

    नील और हरे षैवाल-
    चावल के लिए जैव उर्वरक के रूप में नीले-हरे षैवाल का उपयोग बहुत ही लाभदायक हैं। चावल के लिए यह नाइट्रोजन और पोषक तत्वों का भंडार है। यह मृदा की क्षारीयता को भी कम करने में मदद करता है। इसको फसलों में प्रयोग कर लगभग 25 से 30 कि0ग्रा0 नाइट्रोजन अथवा 50 से 60 कि0ग्रा0 यूरिया प्रति हैक्टर की बचत कर सकते है।

    माइकोराइजा-
    यह संवहनी पौधों की जड़ों के साथ कवक का सहसंभव संयोजन है। यह फाॅस्फोरस को तेजी से पौधों को उपलब्ध करवाने में सहयोगी है। यह फल वाली फसलों के लिए पैदावार में बहुत फायदेमंद है जैसे-पपीता।

    फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु-
    फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु, मृदा के अंदर की अघुलनषील फाॅस्फोरस को घुलनषील फाॅस्फोरस में परिवर्तित कर पौधों को उपलब्ध करता है। इसका उपयोग सभी फसलों में किया जा सकता है, यह फाॅस्फोरस की कमी को पूरा करता है।

    जैव उर्वरकों की प्रयोग विधि:-

    बीज उपचार विधि-
    एक लीटर पानी में लगभग 100 से 110 ग्राम गुड़ के साथ जैव उर्वरक अच्छी तरह मिलाकर घोल बना लें। इसको 20 कि0ग्रा0 बीज पर अच्छी तरह छिड़ककर बीजों पर इसकी परत बना दें। इसके बाद बीजों को छायादार जगह पर सुखा लें, जब बीज अच्छे से सूख जाएं उसके तुरन्त बाद बिजाई कर दें।

    कंद उपचार विधि-
    गन्ना, आलू, अरबी और अदरक जैसी फसलों में बायो फर्टिलाइजर के प्रयोग के लिए कंदो को उपचारित किया जाता है। एक कि0गा्र0 एजोटोबैक्टर और एक कि0ग्रा0 फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु का 25 से 30 लीटर पानी में घोल तैयार कर लें। इसके बाद कंदों को 10 से 15 मिनट घोल में डुबो दें और फिर निकाल कर रोपाई कर दें।

    पौध जड़ उपचार विधि-
    सब्जी वाले फसलें, जिनके पौधों की रोपाई की जाती है जैसे-टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी और प्याज इत्यादि फसलों में पौधों की जड़ो को जैव उर्वरक द्वारा उपचारित किया जाता है। इसके लिए चैड़ा और खुला बर्तन लें। अब इसमें 6 से 8 लीटर पानी लें, एक कि0ग्रा0 एजोटोबैक्टर और एक कि0गा्र0 फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु व 250 से 300 ग्राम गुड़ मिलाकर घोल बना लें। इसके बाद पौध को उखाड़कर उसकी जड़े साफ कर लें और अब उनको जैव उर्वरक के घोल में 10 से 15 मिनट के लिए डुबो दें और निकाल कर तुरंत रोपाई कर देते है।

    मृदा उपचार विधि-
    5 से 10 कि0ग्रा0 बायो फर्टिलाइजर फसल के अनुसार, 80 से 100 कि0गा्र0 मृदा या कम्पोस्ट खाद का मिश्रण करके 10 से 12 घंटे के लिए छोड़ दें। इसके बाद अंतिम जुताई में खेत में मिला दें।

    जैव उर्वरक कृषि के लिए सरल व सुरक्षित है। बेहतर कल के लिए, इसका प्रयोग करना चाहिए और लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए। इसका प्रयोग करने से अपने खेत, पानी, पर्यावरण और स्वास्थ्य को बचा सकते हैं इसके अलावा फसल का उत्पादन कम लागत में ज्यादा ले सकते हैं।

    जैव उर्वरक के प्रकार:-
    राइजोबियम-
    राइजोबियम, जैव उर्वरक मुख्य रूप से सभी तिलहनी और दलहनी फसलों में सहजीवी के रूप रहकर पौधों को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। राइजोबियम को बीजों के साथ मिश्रित करने के बाद बुआई करने पर जीवाणु जड़ो में प्रवेष करके छोटी-छोटी गांठे बना लेते हैं। इन गांठों में जीवाणु बहुत अधिक मात्रा में रहते हुए, प्राकृतिक नाइट्रोजन को वायुमण्डल से ग्रहण करके पोषक तत्वों में परिवर्तित करके पौधों को उपलब्ध करवाते हैं। पौधों की जितनी अधिक गांठे होती हैं, पौधा उतना ही स्वस्थ होता है। इसका उपयोग दलहनी और तिलहनी फसलों जैसे चना, मंूग, उड़द, अरहर, मटर, सोयाबीन, सेम, मसूर, और मंूगफली आदि में किया जाता है।

    एजोटोबैक्टर-
    एजोटोबैक्टर, मृदा और जड़ो की सतह में मुक्त रूप से रहते हुए वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पोषक तत्वों में परिवर्तित करके पौधों को उपलब्ध करवाता है। एजोटोबैक्टर सभी गैर दलहनी फसलों में प्रयोग होता हैं।

    एजोस्पिरिलम-
    बैक्टीरिया और नीलहरित षैवाल जैसे कुछ सुक्ष्मजीवों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करने और फसली पौधों को इस पोषक तत्व को उपलब्ध करवाने की क्षमता होती है। यह खाद मक्का, जौ, जई और ज्वार चारा वाली फसलों के लिए बहुत उपयोगी होती है। इसके प्रयोग से फसल उत्पादन में 5 से 20 प्रतिषत तक वृद्धि होती है। बाजरा की 30 और चारा वाली फसलों की उत्पादन क्षमता 50 प्रतिषत तक बढ़ सकती है।

    नील और हरे षैवाल-
    चावल के लिए जैव उर्वरक के रूप में नीले-हरे षैवाल का उपयोग बहुत ही लाभदायक हैं। चावल के लिए यह नाइट्रोजन और पोषक तत्वों का भंडार है। यह मृदा की क्षारीयता को भी कम करने में मदद करता है। इसको फसलों में प्रयोग कर लगभग 25 से 30 कि0ग्रा0 नाइट्रोजन अथवा 50 से 60 कि0ग्रा0 यूरिया प्रति हैक्टर की बचत कर सकते है।

    माइकोराइजा-
    यह संवहनी पौधों की जड़ों के साथ कवक का सहसंभव संयोजन है। यह फाॅस्फोरस को तेजी से पौधों को उपलब्ध करवाने में सहयोगी है। यह फल वाली फसलों के लिए पैदावार में बहुत फायदेमंद है जैसे-पपीता।

    फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु-
    फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु, मृदा के अंदर की अघुलनषील फाॅस्फोरस को घुलनषील फाॅस्फोरस में परिवर्तित कर पौधों को उपलब्ध करता है। इसका उपयोग सभी फसलों में किया जा सकता है, यह फाॅस्फोरस की कमी को पूरा करता है।

    जैव उर्वरकों की प्रयोग विधि:-
    बीज उपचार विधि-
    एक लीटर पानी में लगभग 100 से 110 ग्राम गुड़ के साथ जैव उर्वरक अच्छी तरह मिलाकर घोल बना लें। इसको 20 कि0ग्रा0 बीज पर अच्छी तरह छिड़ककर बीजों पर इसकी परत बना दें। इसके बाद बीजों को छायादार जगह पर सुखा लें, जब बीज अच्छे से सूख जाएं उसके तुरन्त बाद बिजाई कर दें।

    कंद उपचार विधि-
    गन्ना, आलू, अरबी और अदरक जैसी फसलों में बायो फर्टिलाइजर के प्रयोग के लिए कंदो को उपचारित किया जाता है। एक कि0गा्र0 एजोटोबैक्टर और एक कि0ग्रा0 फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु का 25 से 30 लीटर पानी में घोल तैयार कर लें। इसके बाद कंदों को 10 से 15 मिनट घोल में डुबो दें और फिर निकाल कर रोपाई कर दें।

    पौध जड़ उपचार विधि-
    सब्जी वाले फसलें, जिनके पौधों की रोपाई की जाती है जैसे-टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी और प्याज इत्यादि फसलों में पौधों की जड़ो को जैव उर्वरक द्वारा उपचारित किया जाता है। इसके लिए चैड़ा और खुला बर्तन लें। अब इसमें 6 से 8 लीटर पानी लें, एक कि0ग्रा0 एजोटोबैक्टर और एक कि0गा्र0 फाॅस्फोरस विलायक जीवाणु व 250 से 300 ग्राम गुड़ मिलाकर घोल बना लें। इसके बाद पौध को उखाड़कर उसकी जड़े साफ कर लें और अब उनको जैव उर्वरक के घोल में 10 से 15 मिनट के लिए डुबो दें और निकाल कर तुरंत रोपाई कर देते है।

    मृदा उपचार विधि-
    5 से 10 कि0ग्रा0 बायो फर्टिलाइजर फसल के अनुसार, 80 से 100 कि0गा्र0 मृदा या कम्पोस्ट खाद का मिश्रण करके 10 से 12 घंटे के लिए छोड़ दें। इसके बाद अंतिम जुताई में खेत में मिला दें।

    जैव उर्वरक कृषि के लिए सरल व सुरक्षित है। बेहतर कल के लिए, इसका प्रयोग करना चाहिए और लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए। इसका प्रयोग करने से अपने खेत, पानी, पर्यावरण और स्वास्थ्य को बचा सकते हैं इसके अलावा फसल का उत्पादन कम लागत में ज्यादा ले सकते हैं।

    आर एस सेंगर, कृशानु, आकांशा सिंह, कुशाग्र यादव एवं शालिनी गुप्ता
    सरदार वल्लभभाई कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्विद्यालय मेरठ २५०११०

    Agriculture jaivik kheti organic farming
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Reddit Email
    Editors Picks

    मनुष्य को अपने तन्त्र से बाहर भी कर सकती है, भविष्य की पृथ्वी

    January 6, 2024

    कृषि, खाद्य सुरक्षा और किसान आंदोलन

    July 24, 2022

    Restoring Ecosystems For Cultural, Economic And Ecological Benefits

    July 21, 2022

    छूटी राहों और टूटे धागों की तलाश

    July 19, 2022

    Subscribe to News

    Get the latest sports news from NewsSite about world, sports and politics.

    Advertisement

    About Us

    Links

    • Print Edition
    • Get In Touch
    • About Us

    Contact Us

    • Address: Office No. 04, 1st Floor, Eldeco Xpress Plaza, Uttrathia Raebareli Road, Lucknow Uttar Pradesh, India
    • Email: kahaarmagazine@gmail.com
    • Phone: +91-7011218367

    Powdered By : Bachpan Creation

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.